Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Thursday, December 29, 2011

मिस जूलिया

मैं आज फिर से एक कहानी लेकर आया हूँ फिर वही कहीं आप के दिल को छूती हुई और  कुछ मेरे दिल को छूती हुई, आज की कहानी एक ऐसी लड़की पे है जिसको कभी अपने आपसे प्यार हुआ करता था, मगर उसको कभू उसको उसके जैसे चाहना वाला नहीं मिला, वो लोगों को खुश करने में लगी रहती थी, लोगों की हमेशा मदद कैसे करते हैं ये उस से अच्छा  शायद ही कोई जनता हो, मगर ये दुनिया भी कैसी हो गयी है, कोई नहीं समझता था उसकी भावनाए तो लोग ऐसे तोड़ते थे जैसे किसी कांच को तोड़ रहे हो, मगर कहते हैं अची नहीं जाती किसी के कुछ करने से, और वो हमेशा लगी रहती थी लोगों की किसी न किसी तरीके से मदद करने में......
                                 शायद हुआ भू लय भगवन ने उसको वहां पंहुचा दिया जहाँ उसकी जरुरत थी, उसकी पोस्टिंग आसाम के एक छोटे से गाँव हिलाई में हुई थी, दरअसल वो एक वनस्पति विज्ञानं की रेसेअर्चेर थी, इसीलिए उसे उन इलाको से अक्सर  जाना पड़ता था जहाँ उसे कुछ-न कुछ मिल जाये, वो हमेशा की तरह मस्त, खुद से खुश, दुसरो के लिए तत्पर, उसे वहां की जिंदगी बहुत अच्छी लगने लगी थी, उसको वहां की हरियाली से प्यार हो गया था,शायद उसको उसकी जन्नत मिल गयी थी,
                                    इतने में एक दिन उसके दरवाजे पे किसी की रोने की आवाज आई, उसने समय देखा तो रात के १ बज  रहे थे, इतनी रात को कौन रोता है, बड़ी खतरनाक सी आवाज, इतनी की किसी की आंखें नींद से ना खुले ऐसा नहीं हो सकता था, उसने अपनी आँख खोली,,हिमत बने , टोर्च ढूंडा, और चल पड़ी दरवाजा खोलने के लिए, दरवाजा  जब उसने खोला, तो दखा, की सामने कुछ नहीं था, उसने दरवाजा फिर बंद कर दिया, फिर से वाही रोने सी आवाज आई, उसने फिर दरवाजा खोला, तब देखा की उसके night सुइते को कोई निचे से खीच रहा है, उसने देखा तो हैरान, डर गयी की ये कहाँ से आ गया, क्योंकि वो एक शेर का बचा था, पहले तो उसकी हिमत नहीं हुई, की एक शेर के बचे को उठाने की , मगर बाद में उसने हिमात दिखाई, और उसको उठा लिया, उस छोटे से बचे पर किसी ने हमला किय हुआ था, उसकी टांग  पे किसी ने कुछ मार रखा था की उसकी तंग पूरी तरह से खून से सनी हुई थी, ऐसा मार्मिक द्रह्स्य देखकर उसकी आँखें नम  हो गयी, उसने उसकी मरहम पट्टी की और किसी को नहीं बताया की उसके पास एक शेर का बचा है , क्योंकि हमारे समाज में सब कुछ स्वीकार कर सकते हैं मगर उसको नहीं जो आपको नुक्सान पहुचता  हो, और वैसे भी आज कल के लोगो को अपने दुःख सुख से ज्यादा परेशानी  के दुःख सुख से मतलब होने लगा है, उनको बिलकुल बर्दास्त नहीं होता है की आप कोई भी वैसा काम करो जिस से की उनको कोई नुक्सान  हो,और ये तो शर का बचा था,
                    आज के ज़माने में आदमी अपने बारे में ज्यादा सोचता है ,  और अपने लिए वो किसी भी को मार सकता  है, और वो लोग बिलकुल भी शेर के बेचारे बचे  को जिन्दा नहीं छोड़ते, , इसी के डर से मिस जूलिया ने किसी को कुछ नहीं बताया, चुप चाप उसको पालने लगी,बिलकुल  जैसे की उसकी माँ हो,उसको सुबह दूध देना, उसको बिलकुल वाही खाना खिलाना जो वो खुद खाती थी, ऐसे तैसे चलता रहा, जैसे की उसकी सुनी दुनिया फिर से एक बचे के आने के बाद आबाद हो गयी है, :

क्या चेहरा है उस जन्नत के मासूमो  का,
की दुनिया में जितना हो मारामारी,
एक चहरा झलक दिखा दे वो,
की मुस्कान चेहरे पे  आ जाये खुद,,
की मुझको भी दे वो हस्त हुआ चेहरा एक बार फिर,
की मैं भी इस दुनिया में जी लूँ एक बार जन्नत फिर....

देखते देखते वो बड़ा हो गया था,  मिस जूलिया ने कभी भी मॉस को हाथ नहीं लगाया था, मगर अपने बचे जैसे को शेर को खिलाने  के लिए, उसने मॉस ख़रीदा और खिलाया अपने  बचे को,हाँ अब हम उस शेर के बचे को मिस जूलिया का बचा कह सकते है, कहें भी क्यों न कहे, वो जी भी  तो रही थी एक माँ-बचे की तरह, भगवन करे किसी को उसकी नज़र न लगे, कौन कहता है की मात्र्तव हमेशा इंसान के बचों पर ही झलकता हैं , आज मिस जूलिया  ने ये साबित  कर दिया था की वो एक असली माँ थी, मगर कहते नहीं की जैसे जैसे इंसान बड़े होते हैं उसकी खबर भी दुनिया को पता चल जाती हैक बिलकुल हुआ भी वैसे , लोगो को एकसास हुआ की मिस जूलिया कुछ छुपाती है, वो एक स्त्री जिसने कभी मॉस खाया नहीं वो अब मॉस लेने लगी है, लोगों ने जब मिस जूलिया से पूछा, तो मिस जूलिया ने पहले तो मन  किया, मगर बाद में मान गयी की हाँ मैंने शेर के बचे को पाला है, वो बिलकुल इंसान जैसा हैं , मगर पड़ोसियों को इसकी कहाँ फड़क पड़ता हैं , उनको तो बस अपनी लगी थी,
                         आज तो हद्द हो गयी किसी ने forest officer को बुलवा लिया था, आज मिस जूलिया परेशां थी, फोरेस्ट ऑफिसर बिलकुल नहीं मान रहा था, और वो शेर के बचे को ले गया, मिस जूलिया आज अपने बचे को बचाने के लिए कुछ नहीं कर पाई , आज इस समाज ने उसकी माँ की भावना को सूली पर चदते  हुए फिर से साबित कर दिया की समाज की सोच सोचउन्ही  रूधि  वधिता  पे चली जा रही है जहाँ किसी की भावना को तो यहाँ रोज एक बाज़ार में बेचा जाता है और रोज ख़रीदा जाता है,समाज सिर्फ नाम का समाज रह रहा है, आज के jamane  में वही जीत सकता है जो समाज से लड़ाई कर सके , और इसको जो बदलने आये वो या तो dhumil  हो गए धुल की तरह या कहीं दब गए किसी की लाश की तरह जिसको धरती की गोद में सुला दिया गया है,,,,
                               जब शेर के बचे ने,,अरे नहीं मिस जूलिया के बचे ने, जब सब कुछ खाना छोड़ दिया, तब फोरस्ट ऑफिसर से रहा नहीं गया, उसने कहा हम आप की एक परीक्षा लेंगे अगर शेर के सामने हमने खून दिखाया और इसने अगर कुछ भी किया, तब हम इसको जंगले में ऐसे जगह छोड़ देंगे की ये वहां से लौट नहीं आ पायेगा,अगर वो खाना खता भी नहीं है तो बाकि जानवर इसको मार देंगे, ऐसी परीक्षा!!!, अगर शेर के सामने खून से लटपट मॉस रख दो और वो खाए न, ऐसे कैसे हो सकता है, फोरेस्ट ओफ्फिसेर पूरी तरह से जितने की ख़ुशी में तैयार, मगर मिस जूलिया ने उसकी शर्त को मान लिया, उसने कहाँ ठीक है, आज मैं इस परीक्षा  की तैयरी के लिए भी तैयार हुईं,
                                   अगले दिन सब लोग इस मंजर को देखने के लिए तैयार, मिस जूलिया को अपने मात्र्तव की भावना पे तैयार थी, उसने तो हमेशा उसको वही सलाह दी जो उसके  लिए हमेशा अछी रही, आज माँ-बचे की परीक्षा की घडी  है, उसने बस शेर के कान में कुछ कहा, और बस फोरेस्ट ऑफिसर से कह दिया की आप  अपना काम करे, फोरस्ट ऑफिसर ने भी एक बिलकुल ताजा परिंदे को मार के लाये थे, और वो शेर के सामने रख दिया, शेर भी गया, फोरेस्ट ऑफिसर भी बड़ा खुश उसको पता नहीं मिस जूलिया से कैसी दुश्मनी हो गयी थी, वो अन्दर ही अन्दर खुश होता जा रहा था, शेर जैसे जैसे आगे बड रहा था, लोगों की नज़र बस उसकी की ओरे थी, मगर जैसे ही शेर  ने उसको शुन्घा , कुछ लोगों में ख़ुशी का माहौल और कुछ लोग थोड़े से हताश, की अब क्या होगा, आज हताश लोगों को देख के लग रहा था की अभी भी कुछ लोगों में माँ की भावना है,
               शेर ने सुंघा उस मरे हुए परिंदे को, खून से लटपट परिंदे को, और उसको उठाया ओने मुह से, फिर लौटा , ऑफिसर तो ख़ुशी के मारे हस रहा था, और बस कह दिया की मैं जीत गया, मगर बिलकुल उसिन वक़्त वो शेर का बचे ने, नहीं मिस जूलिया के बचे ने उस परिंदे को मिस जूलिया के पैर में दाल दिया, और फिर घर के अन्दर चला गया, लोगों के अन्दर ख़ुशी,मगर  उस दिन मिस जूलिया की ख़ुशी इतनी थी वो चेहरे से हसीं नहीं मगर वो ऑफिसर के पास आकार बोली, अभी भी जानवर में इंसानियत जिन्दा है , उनके अन्दर भी माँ की वेदना का ख्याल है, जरा आप लोग तो नम्र हो.....आज मिस जूलिया ने साबित कर दिया था, की माँ का मातृत्व कुछ भी हासिल कर सकता है, बस एक बार माँ का मातृत्व दिखाए तो कोई,,,,कुछ लोगों ने हैरानियत  से पूछा की आपने  उसके कान में क्या कहा था, तो उसने बस ये जवाब  जवाब, मैंने तो बस उसे कहा  की बचपन बचपनसे मैंने तुमको बल उठाना सिखाया था और तुम बल मेरे पास ले आते थे  था, वही करना  और उसने बस वही किया, और बचपन की तरह बाल मेरे पास ले आया  , और खाने  के लिए अन्दर चला गया, बच्चा  भूखा है, , बस खाने की जल्दी में  अन्दर चला गया है, कई दिनों दिनोंखाना खाया नहीं है, आज मैं उसको अपने हाथों  से खिलौंगी ......
                              और यहीं ख़तम होती है कहानी  मिस जूलिया की,,,,

तुम सब कुछ हासिल कर सकती हो,
तुम किसी में भी जान दाल सकती हो,,
हे माँ तुम क्या से क्या कर सकती हो,,
साया न हटाना मुझ पर से कभी,,
शायद जान जो तुने दी है मुझको कभी,,
शायद अकेला न जी पाऊं उसको साथ में लेकर कभी....

Sunday, December 25, 2011

साक्षी की sorry....

मैं कहानियों का कोई सौदागर नहीं हूँ, जो आया और कुछ न कुछ लिख के चला गया, मैं तो बस आप के दिल की वो बात पड़ता हूँ, जो कभी-कभी आप किसी से कहते नहीं है,, मगर हमेशा से उसी बात को लेकर सोचते रहते है,, मेरी आज की भी कहानी उसी एक लड़की पर है जो हमेशा अपने दिल की बातें किसी को बताया नहीं करती थी और जिसको वजह से उसे क्या-क्या खोना पड़ा शायद ये उसको भी पता नहीं था,उसकी जिद्द ने उस से क्या क्या ले लिया, ये उसको तब एहसास हुआ जब वो उसके साथ न था....
                                        ये मेरी कल्पना की उमंग " साक्षी" की कहानी है, जो हमेशा अपने काम में मस्त, किसी से ज्यादा बातें नहीं करना, सड़क पे दायें-बायें नहीं देखना, एक रस्ते से आना और उसी रस्ते से वापस जाना था, उसका बस यही एक काम रह गया था, जिंदगी क्या होती है, इस से साक्षी को कोई मतलब नहीं था,, उसका तो बस ये मानना था की जिंदगी बस काम करने के लिए बने गयी है..मगर शायद वो ये नहीं जानती थी की भगवन हर इंसान को एक बार जिंदगी जीने का मौका जरुर देते है, और उसी की जिंदगी में भी वही एक ऐसा मौका आया जिसका शायद उसको नहीं, मगर उसकी जिंदगी को इन्तेजार था,
                            राह में चलते हुए, उसकी किसी से मुलाक़ात हुई, हाँ वो थोडा बदतमीज था, चस्मा हाथ में घुमाते हुए, मोबाइल की एअर्फोने अपने कान में लगाये हुए, न दुनिया की सोच , न किसी की सोच, बस अपने में लगा हुआ, वैसे भी आजकल दुनिया की सोच रखता कौन है,,और जब से मोबाइल फ़ोन का अविष्कार हो गया है , तब तप पुचो मत, लोगों के कानो से ऐसे चिपका रहता है जैसे लड़कियों के कानो से बालियाँ,  दरअसल वो अपनी इसी चाल में साक्षी से टकरा गया था, और आप साक्षी को तो जानते ही है, वैसे शांत, मगर जब कोई ऐसी हरकत करतब, राम -राम.!!!
         साक्षी का मन तो ऐसा किया जैसे की एक चपत लगेये उसके गालों पर, मगर वो सीधी-साधी बच्ची, कैसे लगाती.....मगर वो बस वहां से चली गयी, लड़का तमीजदार था तभी तो उसने सॉरी बोला, मगर साक्षी तब तक जा चुकी थी, पहली बार साक्षी की जिंदगी में कभी ऐसा हुआ होगा की वो ऐसे किसी अजनबी से टकराई थी, रात भर उस लड़के को गाली देती रही, कहती रही की आजकल के लड़कों को कोई तमीज ही नहीं, न चलने का तरीका पता है, न बात करने का तरीका पता है,आखिर पता है की कान में इयेर्फोने कैसे लगाये जाते हैं, और बस सुनाती रही रात भर,
                  फिर सुबह हुई और साक्षी की ये सुबह हमेशा की तरह वाली सुबह नहीं थी, उसने सोच के रखा था की अगर आज वो लड़का मिलता है तो वो आज उसको खूब खड़ी-खोटी सुनाएगी, ये तो मानना पड़ेगा की उस लड़के के आने से साक्षी के विचार बदल चुके थे, कहाँ की सीधी-सधी साक्षी , वो आज उस लड़के को सुनाने जा रही थी, और ऐसे लग रहा था की सारे भगवन शंक बजा रहे हो की अब युद्ध होने जा रहा है देखने आ जाओ, साक्षी बिलकुल तैयार , अपने शब्दों के बाण लेकर, और हुआ भी वाही, वो लड़का आया अपनी चाल में, वो ऐसे चल रहा था जैसे मानो Michael Jackson का बाप, जैसे ही साक्षी उस से  कुछ कहती की उसने साक्षी से सॉरी बोल दिया, ये सॉरी शब्द भी बड़ा अजीब है,  अच्छे खासे कट्टर  लोगों को मासूम बना देता हैं , और हुआ भी वैसा , साक्षी ने उस से कुछ नहीं बोला मानो उसके गुस्से का उबाल को किसी ने ठन्डे पानी से बुझा दिया हो, मगर साक्षी ने उस से कुछ नहीं बोला, और  हमेशा की तरह अपने रास्तें को चली गयी, मगर लड़के को अच्छा नहीं लगा,  वो रोज आता और साक्षी से सॉरी बोलता लेकिन , साक्षी थी की उस से कुछ नहीं कहती थी,,,
                                          ऐसा लगने लगा था की साक्षी को भी उसकी आदत पड़ने लगी थी, अब वो भी उस लड़के को खोजने लगी थी, और जब तक वो उस से सॉरी न बोल दे उसकी सुबह सुरु ही नहीं होती थी, एक बार साक्षी ने तो उस से गुस्से में  कह भी दिया की तुम जैसे लड़कों को मैं बहुत अच्छी  तरह से जानती हुईं , पहले सोरी फिर थैंक्यू फिर I like you फिर I love you, तुम लड़के न.....और बस शांत होकर चली गयी थी, मगर लड़का तो बस चुप्प.....
                उसने साक्षी से कुछ नहीं बोला मगर तब भी रोज उसे सॉरी कहता रहता था, और साक्षी कुछ नहीं बोलती  थी, ऐसे ही दिन गुजरते गए , और ये तो रोज के हालात बन गए  थे, लड़के का सॉरी बोलना  और साक्षी का चुप रहना , मगर मन ही मन साक्षी को ये सब  अच्छा  लगने लगा था,
                                             मगर एक दिन साक्षी को वो रास्ते में वो नहीं मिला, उसको बड़ा  अजीब लगा की वो लड़का आज क्यों नहीं आया है मेरे रस्ते में , आज उसने सॉरी नहीं बोला  आकार, कहीं उसको कुछ हुआ तो नहीं है, और इसी सोच में वो चलती रही, और परेशां रही, दरअसल साक्षी को उसकी आदत पद चुकी थी....
                     रोज उसको देखें की आदत, रोज उस से सॉरी सुनने की  आदत, रोज चुप रहने की आदत, रोज उसी रस्ते जाने की आदत, कभी-कभी  चुपी कुछ आपसे छीन  लेती है :


उनसे कुछ कहा न गया  मुझसे बेरुखी से भी कुछ,,,,
की आज तक खामोश बैठी हैं की कोई शब्द गलत न निकल जाये,,
और हम थे की सोचते रहे एक बात बस,,
की वो हमसे नाराज रहती है एक छोटी सी मुलाक़ात की बात पे बस....

एक महिना हो गया, की एक दम से साक्षी के दरवाजे पे खट-खट हुई,  कि साक्षी  ने दरवाजा खोला और देखा की एक लैटर आया है, साक्षी ने देखा खोल के, तो किसी रमेश का था ,वो किसी रमेश को नहीं जानती थी,  उसको कुछ समझ में नहीं आया, तो उसने पड़ना शुरू किया, उसमे लिखा था,:

मैं रमेश , शायद आप मेरा नाम नहीं जानती है, मगर मैं वो हुईं जो आप से गलती से टकराया था, और रोज माफ़ी मांगता रहता था, की मैं बस ये चाहता  था  की कोई भी मुझसे नाराज न हो, कोई भी  मेरी वजह से दुखी न हो, मैंने अपनी जिंदगी में बहुत गम देखे हैं , और मैं किसी से गलती से भी कोई  ऐसा काम नहीं करना चाहता की वो आपको तकलीफ  दे जाये,
                                     मैं बचपन से अनाथ था, लोगों ने मुझे ऐसी-ऐसी  गलियां सुनाई है  की  ये मैं ही जनता हुईं, कोई अनाथ कहता है, कोई  मजाक में ये पूछता था की ओये तेरे बाप का नाम क्या है, मैं इन तानो से नफरत करता था ,  मगर कुछ कहता नहीं था, उनकी बातों को अनसुना कर देता था, और मैंने पढाई  लिखी की, की मैं आज अपने पैडो पे काबिल खड़ा  हो सका हुईं, मगर आज भी वो गलियां मुझे याद आती है इसीलिए, मैं कानो में हमेशा एयेर्फोने लगा के रहता था, की अब मुझसे व् गलियां नहीं सुनी जाती, किसी ने कहा है की लोग तुमको तब कहना छोड़ देंगे जब तुम उनकी नहीं सुनो गे और ख़ुशी की तरह जिओगे, इसीलिए मैं हमेशा खुश रहने की कोशिश करता हुईं,मेरी भी जिंदगी  बिलकुल आपकी जैसी है, रोज अपने रास्तें से जाना , किसी से मतलब नहीं ,,मगर जब मैंने उस दिन आप को तकलीफ पहुचाई, तब मुझसे रहा नहीं गया, और आपसे माफ़ी मांगने आया, मगर आप मुझसे इतनी नाराज थी की आपने मुझे माफ नहीं किया,,
                            शायद इसीलिए भगवन मुझे इतनी बड़ी सजा दे रहा है, की इस अनाथ को अपना साया  दे रहा है, हाँ उस आखिरी दिन आप से माफ़ी मांगने के बाद जब मैं लौट रहा था, जैसे की मैं आपसे टकराया था वैसे किसी और से, मगर इस बार भी मेरी गलती नहीं थी, और इस बार उस गाड़ी वालें ने मुझको इश्वर से मिलवा दिया, , कहते हैं हर इन्सान की आखिरी इछा पूरी  की जाती है तो मैं आप से बस एक आखिरी इछा मांगना चाहता हुईं, की मुझे माफ़ कर दीजिये, मैं आपको उस दिन तकलीफ नहीं देना चाहता था, शायद जब तक ये ख़त आप तक पहुचे तब तक मैं इस दुनिया में न रहूँ  मगर मेरे माफ़ी जरुर रहेगी, तो इस बार मुझको इस दुनिया से आजाद कर दीजिये, और मुझे माफ़ कर दीजिये,
                                        रमेश का ख़त ख़तम हो चूका था, साक्षी आज फिर बाहर निकली , उन्ही गलियों में गयी, जहाँ वो रोज जाया करती थी, जहाँ वोरोज किसी  की माफ़ी सुनने को बेकरार रहा करती थी, आज उसकी अन्खोने में  आंसू थे, और वो उस अजनबी के लिए थे जीको साक्षी कभी जानती भी नहीं थी, और आज उसके आसूं   देख के, भगवन से भी शायद रहा न गया, और उसने भी अपने आंसूं  झलका दिए, साक्षी आज भीग रही थी, और आंसूं उसके आँखों से निकले जा रहे थे, और बस एक बात कही जा रही थी, की मैंने तुमको माफ़ कर दिया , मगर आज मुझे कौन माफ़ करेगा, ,,

किसी की दिल से इतना न खेलो ऐ- तस्लीम,
की पहले उसको तेरे से प्यार हो जाये,
फिर जब तू उसको इनकार करे,
तो उसका शारीर उसका न रह जाये....


Thursday, December 22, 2011

एक छोटी सी कहानी : सलिखा

मैं कोई सच्ची कहने तो नहीं कहने जा रहा, लेकिन मैं अपने आसपास की एक कहानी सुनना चाहता हुईं,,जो कभी न कभी आप लोगो ने भी जी होगी , आज वो  चुप- चाप सोच के ऑटो में बैठी थी की वो आज माँ से नहीं लड़ेगी, और उसने आज पूरा मन बना लिया था की वो आज कुछ भी हो जाये नहीं लड़ेगी, वैसे कल्पना करना बहुत मुश्किल होता है,मगर उसने यहाँ तक कह दिया, की अगर बिजली भी मेरे ऊपर गिर जाये या आसमान भी फट जाये, मगर तब भी मैं आज माँ से नहीं लड़ेगी, मगर होता क्या है, ये तो भगवन को ही मंजूर है,,
                                          सच कहा है किसी ने, की सब कुछ बदल सकता है मगर व्यव्हार इतना जल्दी बदलना बहुत मुश्किल, कोई नहीं जो होना था वो हुआ, आज वो माँ के साथ बहार निकली और हुआ भी क्या, वो बाज़ार तक चली भी गयी और लड़ाई बिलकुल भी नहीं हुई, वो बहुत खुश थी कि चलो आज बच गये, आज का खुद से किया हुआ वादा तो पूरा किया.....
                             इंसान तब भले ही न ज्यादा खुश हो की जब वो किसी से किया हुआ वादा पूरा करता है वो तब ज्यादा खुश होया है जब वो अपने से किया हुआ वादा पूरा निभाता है,,:

नाराज तब  वो नहीं होते जब उनकी सीरत पे सब मरते हैं,,
नाराज तो वो तब होते है,जब वो अपने को आईने में देखते है..

आज हुआ भी क्या, माँ से लड़ाई नहीं किया, ख़ुशी के मारे खुश, मगर भगवन को भी ज्यादा ख़ुशी बिलकुल नहीं पसंद थी, कहते हैं ज्यादा खुश नहीं होना चाहिए किसी न किसी की नज़र लग जाती है, तो बस, सुरु होने जा रहा था महायुद्ध. किसी की बात पे नहीं, बस माँ ने खाना पसंद का नहीं बनाया था. लो बस सुरु हो गयी अर्जुन की बाड़ों के प्रहार और भीष्म पितामह के वक्ष में घुश्ते हुए बांड...
                                                         मगर यहाँ बेटी ही हमेशा भिष पितामह बनाने को तैयार रहती थी, मगर हमेशा वो अपनी संस्कृति को सँभालते हुए, माँ को मनाने जाती थी.. किसी ने सच कहा है, एक उम्र लग जाये इस रिश्तें को समझने  में, माँ बेटी का रिश्ता भी बड़ा अजीब है, जो आँखों से बातें पढ़ लेता है,  और बेटी का मनाना  हाय- हाय, किसी की नज़र न लग जाये, बेटी का मनाना और माँ का मानना, औए दोनों का एक साथ बने हुए खाने को खाना, और फिर माँ का खुद से कहना, कि चल बेटी मैं तेरे लिए खुद से कुछ तेरी पसंद का बना देती हूँ..
                  वैसे सोचा जाये , तो ये बात अगर पहले हो जाती तो महायुद्ध होता ही क्यों, मगर इतना खुबसूरत पल कैसे कोई छोड़ सकता है, माँ-बेटी का रिश्ता मुझे तो लगता है की सिर्फ माँ-बेटी ही समझ सकती है, क्योंकि उनके अलावा उनके रिश्तें की एक पतली मगर दुनिया की सबसे मजबूत डोर कोई नहीं बांध सकता है....
                                     अरे इस चक्कर में मैं बेटी का नाम तो बताना ही भूल गया, उसका नाम " सलिखा " था, और वो पुरे अपने नाम पे गयी थी, व्यहवहार कैसे करते है और कैसे किये जाते है, ये दूर तक उसके रिश्तें वालों को पता था, ऐसी बेटी पाने के लिए तो ज़माना तरसता था, सब उसके गुण गया करते थे, मगर उसी के घर वाले ऐसे थे की कोई देखता भी नहीं था, मगर उसको भी दुनिया वालों से कोई मतलब नहीं होता था, वो तो बस अपनी धुन में लगी रहती थी, अपनी माँ के बाल बनाना , उनके कपडे धोना, उनके खाना बनाते वक़्त मदद करना, उनके वो सरे काम जो वो खुद कर सकती थी वो सारे करती थी, और वो भी ख़ुशी-ख़ुशी, किसी को उसको कहने की कोई जरुरत ही नहीं पड़ती थी,
                                             इतने में पीछे से एक आवाज आई, वो आज ऐसी बेरंग थी की शायद कोई आदमी भी  इतनी बुरी आवाज से किसी जानवर को भी नहीं कहता था, और वो ऐसे खाने की प्लेट ऐसे फेक के जा रही  है, जैसे किसी कुत्ते को खाना दे rahi हो, मगर क्या जमाना भी आ गया है, पागलखाने में पागलों से कैसे बात की जाती है, ये उस नर्स को क्या पता, हाँ सलिखा पागल थी, और  हो भी क्यों न हो उसे अपनी माँ से इतना प्यार जो था.....
             उसकी माँ  एक कार एक्सिडेंट में उस से रूठ के चली गयी थी और आज तक वापस नहीं आई थी, वो आज भी माँ से बातें किया करती है, लड़ाई जैसे वो रोज किया करती थी आज भी करती है, बस कुछ नयी तहजीब  उसके अन्दर आ गयी है,, वो अपनी माँ का हर वक़्त ख्याल रखने की कोशिश करती है, उनके बाल बनाती  है, उनके कपडे धोती है, उनके सारे काम करती है,,,,
                                                 क्योंकि वो चाहती है की उसकी माँ आ जाये, और फिर से वाही लड़ाई करे जो पहले किया करती थी, उसकी माँ आ जाये और उसके लिए फिर वाही खाना बनाये जो उसके लिए कभी बनाया करती थी, पागल है न, क्या करें ,, बस थोडा प्यार चाहती है माँ का एक बार फिर......
बस थोडा प्यार चाहती है माँ का एक बार फिर......

वो दर्द सिने में छुपा के रखा है कैसे बताऊँ मैं माँ,,,
कोई नहीं है समझने वालों इसीलिए चुपचाप बैठा हुई हूँ  मैं माँ,,
अँधेरा है चारो ओर, कोई नहीं हैं सुनने वाला,,
एक बार आओं माँ, बहुत बातें करनी है,,
फिर से वही चोर-सिपाही खेलना है,फिर से  वही चिरिया उढ़ खेलना है,,
आज फिर से तेरी गोद में हमेशा के लिए सोना है,,,
आज फिर से तेरी गोद में हमेशा के लिए सोना है.......


Wednesday, December 21, 2011

teri yaadein....

मैं आज रोना नहीं चाहता, फिर क्यों ये आसूं निकलते हैं,,
मैं आज तुझको याद नहीं करना चाहता, फिर क्यों ये तुझको याद करते हैं,,
मैं आज हसना नहीं चाहता, फिर तेरी यादें मुझको क्यों हसाती हैं,
मैं आज तुझसे दूर नहीं होना चाहता,,फिर क्यों तू मुझसे दूर जाती है...


मैं आज ख़ामोशी में जीना नहीं चाहता, फिर क्यों तेरी तन्हाई मुझको ख़ामोशी दे जाती है,,
मैं आज तरपना नहीं चाहता, फिर क्यों तू मुझको तरपती है,,
मैं आज आइना नहीं देखना चाहता, फिर क्यों तू मुझे आइना देखने को मजबूर करती है,,
मैं आज सोना नहीं चाहता, फिर क्यों तू मुझे सोने को मजबूर करती है,,


मैं आज तेरे बिना जीना  चाहता हुईं,,फिर क्यों वापस जिंदगी में आते हो,,
अब जीना मैंने सिख लिया,, फिर क्यों इस जिंदगी को दोबारा वही बनाते हो,,


तेरे दिल के कोने में मैंने कुछ आज तक नहीं देखा,,तब भी एक यकीन से कहता हुईं,,
की उस दिल में आज भी एक कोने में मेरा अक्स आज तक रहता हैं,,
जो तुझको भूलने नहीं देता मेरी वहीँ यादें,,
आज जब भी देखती है तू आईने में अपना अक्स,,
तुझको तू नहीं,,किसी और का चेहरा है दीखता,,जो मिलता हुबहू किसी अपने के जैसा,,
मैं ये नहीं कहता की वो अक्स मेरा हो सकता है,,मगर जरा ध्यान से देख,,
कहीं उसका नज्र मुझसे तो नहीं मिलता,
कहीं उसका नज्र मुझसे तो नहीं मिलता,....


(to be continued..)



Tuesday, December 20, 2011

ख़ामोशी.....

ख़ामोशी भी क्या पन्हा है,,जीने की भी इसको एक कला है,,
न जाने क्या किस मोड़ पे कह जाये,,बस इसको ये आता है ये फ़ना है..


मेरे पास पड़ी किताब की सोलवां पन्ना खुला है,,
माचिस की आधी तिल्ली का आज अपना एक नया अंदाज है,,
दीवारों के कान सुने थे हमने,,,वो भी आज कुछ सुनना चाहते हैं,,
दरवाजे की खटखटाहट होने से पहले कुछ बुदबुदा रही है,,
आज सबके अपने नए अंदाज है,,ये क्या किसी के आने की साजिश को राँझा रहे हैं,,
या ये आज फिर मुझको मेरे हिसाब से सल्फों की रहनुमा जिंदगी जिया रहे हैं......


तू दूर है,,या पास है, आज लगता है सिर्फ इसको ही पता है,,
तेरा नाम ख़ामोशी है,,ये तो मुझको पता है,,
फिर क्या ताक़त है तेरे अन्दर,जो तेरे आने से सब ही आज मेरे से रहनुमा है,,
तुने क्या जादू किया है,,की आसमान से आज चांदनी भी खफा है,,
न जाने क्यों तुझको आज अपना हमसफ़र बनाने की इल्तेजा है,,,
तुने आज पड़े हुए खामोश मजबुओं को आज फिर से एक साथ बुना है,,


न जाने खन-खन के किसी की पायल की आवाज की अलग सी बेला है,,
पंछियों की खुबसूरत फरफराहट की आज अलग सी खेला है,,
इस मौसम में इनके न होने से भी तुझमे क्या फन्ना है,,
की आज तू इन सबको भी जिस्मे- आज्बाँ करके मेरे सामने आज चुपचाप खड़ा है,,
तेर्रे जाने से ये जिंदगी रौनक तो नहीं होती,न आने से इसमें कोई फर्क पड़ता है,,
आज तू क्या है मेरी जिंदगी के लिए, ये आज बस नूरे- जज्बात हुआ है...


ये जिंदगी कुछ नहीं है तेरे बिना,,आज जिंदगी को गले लगा ले,,,
ऐ ख़ामोशी आज आ जा मिल के जिले उस जिंदगी को,,
क्योंकि अब तो हर ख़ुशी और गम में तुने ही मुझको छना है,,
जिंदगी खुश भी है तेरे साथ,,आज बदरंग भी है तेरे साथ,,
इसमें भी आज तेरा और मेरा अलग सा एक फन्ना है,,
किसी आईने को देख के मैंने तुझको अपना अक्स माना,,
ये ही बस मेरी एक दिल की सची ख़ामोशी का एक हल्का सा सच का सामना है,,

आज रुबरूं हु अपने आपसे,, की ये ग़ालिब किसके लिए बना है,,
तू ही मेरे आईने का अक्स है,,बस इस चीज के लिए आज ये फन्ना है.....



Saturday, December 10, 2011

Kaasshh...

काश तुम मेरी आँखों को पड़ लिया करती,
तो शायद तुम मेरे साथ होती,,

काश तुमने मेरी मंजिल को अपनी आँखों से देखा होता ,
तो शायद तुम कुछ दूर और मेरे साथ चल दी होती,,

ख्वाईशें मेरे दिल की अपने लिए देख ली होती,,
तो शायद तुम्हारी सोच बदल गयी होती,,

काश तुमने समुन्दर की गहराई जान ली होती,,
तो शायद तुम मेरे इश्क की इन्तहा समझ चुकी होती,,

काश तुमने आकाश को बड़े प्यार से देखा होता,,
तो कितना करता हूँ प्यार मैं तुझको, ये तुम समझ चुकी होती,,

कभी नंगे पैर मेरे साथ समुन्दर की लहर की ओर भागी तो होती,,
तो मेरे साथ रहने का क्या फर्क है,,,ये तुम समझ चुकी होती,,

काश मेरे दिल की बातें तेरे दिल को भेद जाती,,
तब मेरे अश्कों की बातें तुम समझ चुकी होती,,

काश तुम मेरे सपनो को सही से देख पाती,
मैं तुम्हारे सपनो में क्यों हूँ ,,ये तुम समझ चुकी होती,,

काश मेरी तरह जरा होता खुद पर भरोसा,,
तो शायद आज तुम मेरे साथ होती,,


काश तुम मेरी आँखों को पड़ लिया करती,
तो शायद तुम मेरे साथ होती !!

(to be continued...)







Tuesday, December 6, 2011

Beauty Of Love ...

How can we judge that love is in the purest form or not? It is never judged by anyone in this world because it is the feeling of the heart and soul. And yet any machine is not discovered to judge the extremicity of love. then how can we say that love reflects the beauty of true happiness and self satisfaction desire. 
                             If a girl denied to the boy, when a boy proposed her , Then why are they doing following things :
1- When a boy had fever and something else, then why in every single hour they asked, "Do you take the medicine ?". even the doctor prescribed only thrice in the day but that girl pushed them to take the medicine in every hour of the day. This is not in the limit of the girls, if they want then they gave injections to that boy in every single hour. If a boy denied to the girl that he doesn't want to go to clinic, then they literally are crying and ask  to go to clinic with her. Now इ considered, this case may be the friendship case.
2- If girl doesn't care for them then why they asked at every meal time that ,Khana khaya ki nahin,,,and by chance if boy doesn't take the meal then they asked, Kyon nahin khaya, abhi khaho jakar!!!. these are the statements which no one has a capability to define that what may be relationship? Now again I considered, this case also may be the friendship case.But, 
3- If a girl's friend keep talking to that guy then why they are saying that," Jao usi se bat karo jakar; Time mil gaya bat karne ka." Then why are they jealous?? I suppose that this may be not the case of friendship only. This show the possessive nature of a girl with that guy whom they doesn't want to share with anyone. And why they don't understand that they are in love. 
                                If you doesn't agree that you are in love then please don't say these statements and don't realized others that you are caring for them.  Because sometimes they are confused that hopefully you like him. 
          I only agree with one statement that if you love him then say Yes otherwise directly said No and don't try to misconcept him that you like him but you don't love him. This is the famous line of a girl, that ' I like you but i don't love you!!.And this line may be the superfulous to hurt the feeling of a boy. If you don't know how to love then please don't try to learn how to break the heart. 
                      Realization is the first step of love so please realize your inner love towards others. Love can't be die, it is always be existed in your heart so please try to understand it. Hopefully, your perfect one may be infront of you but you don't realize him and if he will go out from your life then he will never be back so don't let him go from your life. Realize it, Accept it and then lived happily..


Monday, December 5, 2011

The Magic Moments of Childhood...

Today, I got hungry so i bought a small packet of Crax, and enjoyed it. At last I found the puzzle game and a small train car in which I have to join all the wheels and train parts and its engines. And I enjoyed both games and placed it in front of my table and As I see both the games I feel happy and I don't know why....
                              When I told about this train to my sister in a great anxiety, then she told me you are behaving like a child, and then I felt that in this fast running life, we forget the most important thing in our life is : CHILDHOOD DAYS...
                                     Actually we bought only those products in which we got prizes or any gift items included mostly from the digital watches free with bournvita and boost, and badminton rackets with horlics and many prizes and we were so happy when our parents bought those items. They didn't buy those products because they are body tonics especially because of us that we want them. How much our parents cared for us??? And even if we forget those memory days but we don't forget the love of parents toward us and we saluted to their love in the great extreme manner that could not compare to any happiness in this world. I love you mammy and papa....
                                              Alongwith what is the difference between the childhood days and the present days? In childhood days, when we got the prizes or gifts, then we share to our friends and our relatives and that gift is the precious one for us, and we couldn't separate from them. And we used to sleep with them. It is a joke but in reality it took place with me. And I felt a huge happiness when I thought about those childhood days.
               But today when we got the prizes in this competitive world, then we don't share it with anyone because we generally improve our qualities like Jealousy, Eagerness, Ego, and many qualities. And because of these special qualities we are lacking in happiness and many satisfaction  and specially we are lacking to enjoy the real meaning of Life.
                                          It is truly said," A Child is the image of a God". Because the heart of the child is as clean as God' heart. And in this competitive world we are faliciously destroying ourselves.
                So at last, i feel that we should be enjoying the thing as children are enjoying because this time is not returned by anyone so enjoy the single moment of your life....
कहाँ थे , कैसे थे, क्यों थे, हम क्या हो गए....
जहाँ हसना था, जहाँ रोना था,,
ये बिना सोचे , हम क्या थे  और अब क्या हो गए.....



Friday, December 2, 2011

Self-Confessed love....

I wrote many times about love and really i want to say that now I am bored of talking about love and all. But what i think that love is the entire thing from childhood to the time when you are counting your last seconds, for which you began fight with all over the world. But is it really the meaning of love which can be whispers in the heart of others on whom you want to say? I don't know this is actually. Obviously, love is understood by the others but what do you do when it is not understand by that person whom you want to say!!!!
                                                 Actually, in the fast run of atmospheric love, everybody is confused about love. And in the meanwhile he/she is experimenting with the persons whom they meet. But sometimes the true love being passed by them and they never understood them. And then they said that they don't get their love. I believe that being a self-confessed lover. Don't hide your love. If you know that you are in love then say immediately your loved one that you loved him/her. And don't confused on the little point that either he/she denied or accepts.  Denial and Acceptance are the two kinds of love, but if you think more then you see that in both the types you win. Because when you say about your true love then you have an ability and you have a courage to say that you have strong feelings for her/him.
                             And you win because there are many persons in this world who never judged about themself that either they are in love or not, and you are the person who know about your innerself. And you have only the courage and power to say to this world that you loved her/him. So being a person who is proud to be a Lover. And love never dies, it remains keep in your little heart and always reminds you that you are honest to yourself and to live a pleasant life and simple life you first should win your heart and when you realized that you are made love then you actually win your soul and heart.
                                   And at last i inspired all those who are not in love, fall in love and enjoy the beautiful meaning of life and for those who are in love, hug your partner that he/she doesn't go away from you. Love your life and in the mean time I love my life ........

Tuesday, October 25, 2011

Life Rules...

Generally, from nursery to unlimited higher studies, we learned a lot of rules of life but generally we forget them and make new rules. After some time we realized that these rules are the rules which is only made for a prosperous life and we want the our forthcoming generations follow these rules, but the most important thing is that we don't follow these rules in a right manner. So i realized to calculate these rules in my blog. And these rules are :
1- Love your parents,
2- Think before Speaking,
3-Control your mind,
4-Think before doing any thing,
5- Never be greedy,
6- Love your Birthplace and don't forget from where you belong,
7- Greed is your enemy,
8- Do away with Boasting,
9- Don't trust strangers,
10- Trust your intelligence,
11- Be satisfied,
12- Mind is mightier than power,
13- Tit for Tat,
14- Be aware of Enemy,
15- Greed is evil,
16- Use your intelligence,
17- Don't DayDream,
18- Use your brains,
19- Push out bad habits,
20- Never be flattered,
21- Don't imitate others,
22- Choose good companies,
23- Think before believing,
24- Don't fool others,
25- Don't boast,
26- Don't keep bad companies,
27- Judge yourself,
28- Kindness pays everything,
29- Change bad habits,
30- Never believe in enemy,
31- Help yourself,
32- Don't favour the foolish,
33- Be punctual in your life,
34- Think before complaining,
35- Honesty pays everything,
36- Arrange in time,
37- Always be careful of others intentions,
38- Don't laugh on others,
39- Respect parents affection,
40- Don't act with foolishness,
41- Never be self-centered,
42- Act with cleverness,
43- Beware of strangers,
44- Keep trying to help everyone,
45- Be what you are,
46- Don't ask rubbish to anybody,
47- Help the needy,
48- Pay in same coin,
49- Never cheat others,
50- Wisdom is treasure.
These are the some life rules which we have to follow but sometime as we know what is right and what is wrong, but we choose the wrong thing. Now I tell all the stories on different rules in my next blogs....


Sunday, October 16, 2011

kuch kehna chahta huin....

हूँ मैं शांत तो इसका ये मतलब नहीं की मैं कुछ कहना नहीं चाहता,,
हूँ मैं अजनबी तेरे लिए, तो इसका मतलब ये नहीं की मैं तुझसे कुछ कहना नहीं चाहता,,
होके जुदा तू है अब भी मेरे पास कहीं,,रहती है अभी भी हर जगह हर जुस्तुजू में कहीं,,
तो कैसे कह दूँ,, कि तू मेरे जिस्म का एक हिस्सा कभी भी कैसे भी न थी कहीं....

तेरे से कई गिले शिकवे होते रहे ,, हम बड़े प्यार से उनको सुलझाते रहे,,
तो अब क्या दुरिया बनाई है तुने,, कि जिक्र उठता है तो अल्फाज कम हो जाते हैं,,
हम एक दुसरे से इतने दूर क्यों हो जाते हैं,,
वो प्यार कहाँ गया हमारे बिच का,, जिस से किसी को जानबुच के हम कभी कभी जलाया करते थे,,
हसते रहते थे रात भर ,,बाहों में एक दुसरे की ,,एक झलक आँखों का बयां करते थे हम कहीं,,
फिर कहाँ गए वो दिन हमारे साथ के बिताएं पलों के,,
वो रातें वो बातें,,वो हसती कि सुनी राहों के,,
अब नहीं सहा जाता,, हो गया तेरे नाराज होना,,
अब तो बहुत दिन हो दिन हो गए,,लौट के आ जाओ,,
अब तेरे बिन अकेले जिया नहीं जाता,,,

याद है तुझे ,, तू एक बार रोई थी मेरे लिए,,
पागल था तब नहीं समझता था तुम्हे ,,कि तुम कितना ख्याल रखती हो मेरा,,
जबरदस्ती काम करवाती थी,,डॉक्टर से लेकर दवाई तक ,,सब याद भी दिलाती थी,,
आज इतना सब कुछ हो गया,,अकेला हुईं मैं यहाँ पे,,
सुनी राहों में अब कोई लफ्ज सुनाई नहीं देता है,,
अब तो तेरे बिन मेरा मन कहीं भी कभी भी नहीं लगता है,,...

आज मुझे तेरे ख्याल का एहसास आया,,
वो लड़ाइयाँ ,, वो गिले शिकवे में तेरा मनाना याद आयन,,
तो अब क्या हो गया ,,उन रिश्तों में तेरे मेरे बिच में जो होते थे कभी,,

कोई नहीं सायद तुम वो सब कुछ भूल चुकी हो,,
इतने अजनबी हो चुकी हो,,कैसे याद रखोगी वो बीते रिश्तों के नजाकत को,,
सुना है तेरी उस दुनिया में भगवन नाम का भी कोई शक्श होता है,,
सुना है वो चाहने वालों को जल्दी बुला लेता है,,
तुझे इतना क्यों चाह उसने इसकी भी लड़ाई करनी है  उस से,,
अगर हारने से उसको डर लगे,, तो कह देना,,
मुझे भी छह ले,, अपने पास बुला ले,,
मगर न जुदा होने दे तुझे मेरे से कहीं ,,
कैसे रहता हुईं मैं यहाँ अकेले,,कैसे बयां करूँ,,
अल्फाजों कि कमी से किसी से कुछ कह नहीं पता,,
तुझसे कितना प्यार किया,,और कितना करता हूँ,,
बस ये तुझसे आज तक कह नहीं पाया,,,
अब लौट के आ जाओं,,तो बता दूंगा सब कुछ अपने दिल के अरमान,,
कि इस बार जाने नहीं दूंगा तुझको अपने से दूर किसी और के पास....
कि इस बार जाने नहीं दूंगा तुझको अपने से दूर किसी और के पास....


Thursday, September 29, 2011

tera milna,,

तेरा मिलना मेरे लिए कितना खुबसूरत पल है ये कैसे बताऊँ तुझे,,
की जिस्म को आर्जूं है तेरी, ये जान ले आज मुझे,,
की कोई तो होगी दुनिया में मेरे लिए , ये किसी ने कहा था मुझे,,
मगर मुझे आज उस बात से कोई लेना देना नहीं,,
की आज तेरा साथ है,, तेरा जिक्र हैं मेरी धडकनों में,,
तू शब्द है मेरे अल्फाजों की , मेरे सांसों की महक में तू,,
सिर्फ ये ही जान ले तू मुझे,,

तेरा मिलना मेरे लिए कितना खुबसूरत पल है ये कैसे बताऊँ तुझे,,..

आज ख़ुशी हो रही है मुझे जानती हो क्यों,,
की दिल मेरा खुश है ये जान के तू भी कहीं आस पास हैं मेरे,,
की अब मैं हर समय महसूस कर सकता हु अपनी बाहों में कभी भी, कहीं भी,,
आज तुझे जाने न दूंगा,,ये भी हिमाकत कर सकता हु ,,
तू मुझे बहुत चाहती है,, ये दुनिया से तू आज कह सकती है ,,
बस इसी बात से खुश हुईं मैं,,,की तू हर समय मेरी सांसों में बसने लगी है,,
की आज कोई न हैं तेरे मेरे बीच में ,,सिर्फ तू हैं मेरी निगाह में और मैं हु तेरे अश्कों की उन सम्भियत में..

तेरा मिलना मेरे लिए कितना खुबसूरत पल है ये कैसे बताऊँ तुझे,,..

आज किसी ने कहा,,की उसको तुझे से मिलने की बड़ी चाहत है,,
जानती हो क्यों ,,क्योंकि वो मुझसे जलता है कभी-कभी,,
की तेरे बातों के अलावा मेरे पास कोई जिक्र ही नहीं होता है ,,
वो जलते हैं की ऐसा कौन है मेरे पास तेरे जैसा प्यार करने वाला शक्श,,
की दुनिया में नया आवाम नए नाम का हो जायेगा,,
मगर कैसे मिलवा दूँ मैं तुझको उनसे, की वो नहीं देख सकते तुझको मेरी आँखों से,,
वो भ्रम समझते हैं मेरा , की तू दुनिया में कहीं नहीं है,,
कैसे समझों उन लोगों को जो हमेशा आँखों को देखना ही सच समझते हैं,,
की तू मेरे लिए क्या हैं,,ये वो कभी नहीं समझते हैं,,ये वो कभी नहीं समझते हैं,,,

तेरा मिलना मेरे लिए कितना खुबसूरत पल है ये कैसे बताऊँ तुझे,,..

पता है तुझे आज रोया था मैं ,,अरे तुम मत रो,, परेशां मत हो,,
बस तुझे याद करके ,,तेरे साथ बिताये उन पलों को याद करके रोयाँ था मैं,,
कोई नहीं ,, दिल में कोई दर्किरार नहीं है  अभी,,
की तब मिलते थे हम छुप-छुप के कहीं दूर,,की कोई देख न ले हमे,,
मगर आज कोई नहीं दख सकता हमे कहीं भी,,
की तू सिर्फ मेरी एक तमन्ना है,,की तू मेरी एक आशा हैं,,की तू मेरी एक अधूरी कविता हैं,,
की जिसको पूरा करने में मैं अपनी पूरी जिंदगी काट सकता हुईं,,
काश तू होती मेरे साथ,,तो सबको दिखा सकता की कितना प्यार करता हुईं मैं मैं तुझे,,
की अब कोई गिला नहीं की अब इस दुनिया में मैं अकेला ही सही,,
की तेरा इस दुनिया को छोड़ जाने के बाद बस तेरी चाहत ही है मेरी,,
की अब तेरी वो यादों के साथ उस दुनिया में मैं अकेला ही सही,,
इस दुनिया में मैं अकेला ही सही,,,

तेरा मिलना मेरे लिए कितना खुबसूरत पल है ये कैसे बताऊँ तुझे,,..
काश तू होती ,,,,रोना मत,,,मगर आज रोता है दिल,,
की इस दुनिया में मैं अकेला ही सही.....
की इस दुनिया में मैं अकेला ही सही...


( this blog is only dedicated to my imaginative love, my imaginative partner ," AAINA".. hope you are with me...)... 

Wednesday, August 31, 2011

Who am I??

This blog is totally dedicated to all my dearest friends who know my strengths more than me. Today I have a pressure of Placement because Infosys is coming to my college. And at the peak time, I am bewildered of my capablities that really I have a stamina to clash the paper of Infi. And I am really feared about the placement. But My all dearest friend teaught me about my capabilities and it seems to be like as Jamvant told the power of Hanuman to himself which he is not aware of. But now I know my capabilities to who am I?
                                            Since morning, I wandered here and there, and try to attained all the power of myself that I am really the man who show his all power to anyone and I tried every time but I failed. I don't know Why I failed each time. But in the mean time one of my friend told me,"Why You forget that You are ABHISHEK MAURYA, who faces all the situation of his life easily, you are the person who never say NO to any work , You are the person who never want to fear from anything". And from her speech or I can say that the  meaning of myself, I know this time and Now I am really confident about myself that Tomorrow i will surely cross the INFI written and also the interview.
               Thanks again to all my friends and today you all proved that you always care of myself either you belong or you don't belong to my life. Love you to all.....

Today I know the definition of myself that, " I, Abhishek Maurya, a person who only see the challenges in his life from the birth to till now, and all the belongings proud of himself, he is the person who never want to see the face of failure and if her see the failure then he always learns from it and never repeat again. He is the person when he started his path others follow him and he believes in two fact of life and they are:
1- " Work is worship and Duty is God ".
2-" Everybody's responsibility is his owns' responsibility " "
 And now I feel proud of myself that I found the friends awesome in this whole world. and atlast i proud to be of myself that i did all the deeds in this manner that no one has a obligation with my deeds. Love to myself....

Monday, August 22, 2011

Is it necessary to say that I LOVE YOU??

I wanna to love you,,
but i don't wanna to lose you,,
thatswhy I fear to tell you,,
Please feel my love,, 
without pressurize me,,
is it necessary to say that,,
I LOVE YOU...???


Please be kind to me,,
and always beside me,,
because this time i don't wanna to lose you,,
and again i wanna to ask you,,
is it necessary to say that,,
I LOVE YOU...???


Monday, August 1, 2011

Name suggests nothing...

I don't know, what is the main motive to ask someone that, "What is your name??" and really from nursery, i see that every child must be know about this. Is it give him/her the real identity. I thought that it is only asked for knowing the gender first, and then caste, and then religion. And we used to live in this sucking society where there is no one who hide their identity, and all of us don't want to change the society.
                             We firstly pre-determined the image by listening the name and religion of a person, but we don't think about the changes that occured in our society. Todays there is different virtue, but we are living in our old customs. we asked ourselves many times that Why the society has been never changed? And we don't want to argue in this ultimate discussion,and we always suggesting many things but we always ignore many things. And we are the first culprit because of which our society and our country never changed. And the most important point is that we dont want to change ourselves.
                             We don't want to take the responsibility, we are always arguing on the hottest topic that, that politician made a great corruption, that singer took the US dollar from our asian country to other, that heroine wears the mini skirt and she is looking sexy , and even if we always talking to our friend about our girlfriends matter, but we don't talk about ourselves and our duty, We are deprived of our own's responsibilty.
                              And i asked only one question to myself that DO WE THE INNATE OF THESE CUSTOMS? and i found that we are. But i only trembled for that fear which i always in my mind that DO WE REALLY CHANGED?
                           And I, as a Abhishek Maurya, promised to myself that we will changed and changed the society. We took the reaponsibilty of myself, not to bother in others, and it is my owns responsibility......

Saturday, July 30, 2011

Love teaches everything....

I am on a simple discussion with my friends, and i told them everything about you teaches something, but if really want to learn something. One of my friends asked me that if everything around you, teaches you something, then what do you learn from your love, because my friends know about me one thing, that I love a girl who don't love me. And they know one thing also that from that day, I don't indulge in any other matter. But for a single pause I kept silent and seriously I want to say that I have no words at that time.
                                And after thinking sometime, I realized that I learned may things from her. Really What is Love? And if I asked this question to someone, then it has many answers and there are so many answers for this simple question. But I only understand only one thing that Love is not the need , it is the name to give, to spread, but from the true heart. Love is not the second name of desireness, but it is the name of sacrifice. 
कहते हैं हमने प्यार बहुत किया,
दर्द बहुत सहा, ख़ुशी का भी इकरार किया,
मगर आजतक न समझ प्यार क्या होता है ऐ जालिम षेक,
की आज तक लगता है मैंने सच्चा प्यार नहीं किया....
The atmosphere around us is full of love, but please asked one question to them that who is planning to live for a future life? and this is a simple question but to given a statement and justifies that statement is a different virtue, and nobody promised that their love is for how many days?
                                  Actually love told us about the meaning of sacrifice,and told about the happiness in the sacred and solomoity of love. It told us what do we do in our next step. it seems like a motivation on your step, it sometimes seems like a meditation. it gives you energy to face off the challenges, it is like the second life of you if you feel it.
                               But the most important thing is that it is only true when your love is true, and I'm proud of my one thing only that my love is true, and i know the meaning of all world, that is why i am  satisfied my love, and i hereby to say that my love teaches me everything, and thanks to her for those....
तेरे रहने से भी वो न मिला, जो तेरे जाने के बाद मिला,
ये नहीं कहता की तेरी अब कोई कदर नहीं मेरी जिंदगी में,,
बस ये फयाम कहता है, तेरा ये आशिक,,
की तुने इस जिंदगी को नया आयाम दिया,,
जब तक रहूँगा इस दूनिया में,,
तब तक तेरा शुक्रिया अदा करूँगा,
अपने अश्कों से तेरे अक्स को कभी बहने न दूंगा,,
क्योंकि तेरा अब हर एहसान को सरहद लगाऊंगा मैं..
Thanks for everything....

Monday, July 25, 2011

Try me....

At the 21 years of age, I have one thing with myself that I have the experience of this life. And I noticed one thing all of my side, passers- bypassers, friends-enemies( which i can't make), and many one, That God is not doing right things to me. And always told one thing that WHY ME? and I am not the only person who don't tell this line . But Understanding the God almighty I start try to say that PLEASE TRY ME!!!! and it really changed my life.and this is the advice of my teacher ( infact he is somehow my friend ). 
                       What is the meaning of try me? First of all I want to say that we are always abstruse of anything, either it is of our future or a relationship. And if we got any result of selecting our path own, and if that result is good then we forget our God, and on the otherside if we got any undesire result, then we first take the name of God and told Him that Oh God! you again did this thing to me and most of time we cursed him. 
                                Infact we are some beautiful and mysterious creatures of God whom two people don't understand itself , first the God Himself, and second is ourselves, means we don't know us because if we know ourself then we are not unclear about our goals, our paths and more than itself. So first we should try to know ourself and always challenges the God, by saying that Oh God! give me herculian task as you want and oh my almighty give me a tougher one by which I prove myself. 
                           By doing this, first we increase our confident that we are the mature ones and second thing that we are facing the challenges given by God, and third thing that we are always ready to welcome the surprises and one statement i don't forget here that.," Ships are save in harbours but they are nor for them." This line has a simple meaning that ships are always save in harbours but they went to the sea even the deepest one to face the risk. and they are made for this not for keeping in the harbours for show piece.
                 So at last i want to say that Always welcome the challenges and remain with them and give your hundred percentage, and you will got a real successs and always try to say to everyone that TRY ME!!!
                                       

Saturday, June 18, 2011

Milan hain hona....

इन बारिश की बूंदों में,, एक परछाई तो दिखलाई देती है,,
जरा ध्यान से देखा,, तो ये बुँदे तेरे सायें को दिखलाती है,,
जब छुना चाह मैंने अपने इन हाथों से तुझको,,
तो वे वापस हाथ को स्पर्श कर के निकल जाती है,,
तो ये क्यों, वापस तेरे अक्स को दिखलाती हैं,,
तो ये क्यों, वापस तेरी याद दिलाती है,,
जब भूलना चाह था दिलोजान से मैंने तुझको,,
तो ये क्यों, वापस तेरे अक्स के अमृत से मुझको भिगाती है,,
तो ये क्यों, वापस तेरे मेरे साथ न होने का गम बार बार बताती है....

आज जब बारिश देखी, तो मैं जूठ नहीं कहता,,
हाँ मैंने तुझको याद किया था,,
वो पल जो तेरे साथ बीतें थे,,
हाँ मैंने उनको याद किया था,,
वो बारिश की बुँदे,, तेरा साथ होना,,
छुपने के लिए पेड़ के नीचे हमारा जाना,,
मेरे हाथ को बड़े प्यार से पकड़ना,,
हमारा और करीब आना,, और चुपके से कहना,,
की बारिश का बंद होना और हमारा घर जाना,,
मगर मन की बात का कुछ और सा होना,,
की कभी न ये ख़तम हो बारिश का होना,,
बस थम जाएँ ये पल जिसमे तेरा साथ होना, 
और मेरा मुस्कुराना, तेरा खिलखिलाना...
और हमारा और करीब आना, और पलों को यादगार बनाना...


तो क्यों है ये दूरी, जो अब सही नहीं जाती अब हमारे मिलन से अधूरी,,
अब बस तेरा साथ होना, दुनिया को एक दूर होना,,
किसी से अब हमको न कोई सन्देश रखना,,
नज़रों में तेरा ही अक्स होना,, बस आईने में तेरी रूह का होना,,
कशिश अब बस तेरे छुने को होना,,
अंतर्मन से अब एक नए भावों का होना,,
की दुनिया का अब एक नए से सर्जन करना,,
की इसमें सिर्फ तेरे और मेरे जैसे प्यार का होना,,
न किसी की नफरत से हमको लेना,,
न किसी की जलन से हमको कोई फर्श होना,,
बस आज तो हमारा और तुम्हारा मिलन है होना..
बस आज तो हमारा और तुम्हारा मिलन हैं होना.....







Sunday, May 15, 2011

Tears also have a voice!!!!!

Speaking is a generous thing which could be understand by many ones or we can say that by almost all over the world. But sometimes we want to speak something and peoples understand in a different logic and understand ourself as a wrong idealistic person. But what actually condition is? They don't understand. 
                          Today, when returning to my home back, Then a boy and a girl sit opposite to me in auto. When they entered the auto, they have no relationship ( as i understood by the first appearance). they don't speak a little word itself. But the eyes of girl and a boy speak a lot. As always I am hearing the songs of LONELY 2, which i latestly took from my friend, But the feelings of that song is delivering from the eyes not from mine,,just from the eyes of two persons who are just sit opposite to me. 
                          It is a better known fact that eyes never lie, but why eyes never lie? Because they are touched directly with the heart. And the couple remind me the best friend of mine or I can say that my love, she always told me that I never faced of your eyes and I asked always, WHY? But she never answered. But today someone who is unknown to me, answered me. My love is feared of my eyes because she feared of my intense love for her. But what can i do?  Because she always understand my love for her, but never accept my proposal. And from that day I want answer why don't you love me? But She has no answer. 
                                     And from that day I love th way of denial of her to my proposal, and from that day everyone has the capability to read my eyes, that how much I love her. Tears also have a voice but sometime other listen and understand it, but from whom your tears are spreading , that person never understand. Tears want to say something, but they do not get to the feelings of you. 
रोते रोते हुए भी किसी की आवाज नहीं निकलती,
कुछ कहना वो भी चाहती है, लेकिन समझना  कोई नहीं चाहता,
दुनिया में चलते हुए बहुत लोगो को देखा होगा,
बहुत तेजी से पास से निकलते भी देखा होगा,
क्यों नहीं समझते हैं हम  लोग उनकी आँखों की बातें,
शायद उन्ही में कोई हमारे लिए तनहा खड़ा इन्तेजार कर रहा होगा....
                           Tears never lies, so please understand the eyes of mine, if you don't want to understand the words of mine. Someone missed you a lot, but the fact is that you always want to understand the feelings of those person who sometimes showed you that they are more close than you, but please understand the tears of mine that i have no words to say my feelings for you,....And at last, bye...........

Saturday, May 14, 2011

My love for you....

Its seem to be very funny that I told you that I love you, But you are always take as a feeling of newly crush of every boys life, but how often , and for how many times, my crush is same for you from two years, and a little bit of six months, But you don't understand my love. Oh lets leave my love issues because someone told me that," अब तो छोड़ दे ....( Now, leave her....)", But I answered him that , " Yes, I left her, I left all his links, I left everything all which is attached to her, But only one thing I don't do that , I can't erased all her memories and her images from my mind,  and  from that day I have one habit to remind the dates of every meeting with her." And in this meanwhile, I left my two years and six months without getting and meeting her. 
                                           Always she asked one question to me that, " Why do you love me?" This question is
(in hearing) the easiest most of all questions of the world, But this question has no answer from my side. I always answered her that," I don't know why I love you." I tried everything to prove my love as pure for me not for her that:
1- I don't meet her for two years and six months to check me that either my crush changed or not. But I am glad to share that My crush is same for her.
2- Then I tried to indulging in other girls, but I found that my feelings again not changed for her.
3- Then I tried not talk to her, but again I found no change to feelings for her.
                                  But I found one think that in this meanwhile I don't change your thinking about me, from last two years I tried to convey you that how much I love you, But you don't understand this thing. And I'm happy for you, that you don't understand my feelings.
                                              But I thanked you ma'am that you changed my life , You give my life a target to achieve some thing, you made my life as consistent whom that I don't want to be. You always told me that Abhishek, you do everything. And I denied you , and today when I achieved something, I rememberise you. When I walk on the way when we are sometimes passed our time, I rememberise you, When I took the meeting at cafer's bite, I rememberise your chocolate pastry at corner table. I rememberise you till my life.
                                  Today, I have everything but I missed you a lot, I want to share my feelings to you but I have no right to call you even I have no contacts of you and actually I don't want it, Because I want to be lonely because I have strong will that I kept lonely, but I have no power that you are with me but always ignore me and don't understand my feelings. Today I missed you a lot with a heart which has a tremondous love for you, but not a word to express it. I have feelings to show with my eyes not with my single words.
                              And at last Thanks a lot to give me support that time when I needed you ma'am, I love you with the feelings that i don't want to share you. But I am happy to miss you for every pulse of my life......Hope you do best in your life and hope I achieved something new except you in my life because you are the one who is the need of my life and I tried to make it my desire and I tried this in my life ...Love you Bye.....

Friday, April 22, 2011

Definition of Love!!!!

From the past two and a half years I met with daily activities and highly hectic schedule, But I always know the changing of definition of one word that is LOVE. Many scientist and many well known speakers told that the definition of one word has been never changed and the views of different authors and different poets move around with closeness of the word proper meaning, But they all wrong when they have to describe the meaning of word LOVE.
                          In the starting of my career, I only think that the love is a feeling which only exist with the true heart and who don't know about the feelings and demandings of true heart, he never understands the meaning of Love. Unfortunately, I met with a friend, and she changed my views about definition, and my love definition is termed as,"When your emotions, desireness, anxieties, demandings, feelings, and many more awesome feelings of heart of two persons seems be like same then it has been the evolvement of Love between those two persons." But if I told this anyone who is misery a serious person then he laughed at me surely.
                                                  And at present I laughed on me because these are the definitions that are the only applicable in the dreamy world, but in this hilarious world, these definition has no moral values.
                     Today I realized one fact that, love only judge by passing the one year of commitment because in starting, there is only a attraction toward the opposite sex, and we desire only the happiness of sexual pleasure, and we always said that we don't think about this, and we are in true love but actually the case is just opposite.
                                  Love is only judged by when you have a stamina or a will power to wait for her that once she came to you and told you that she is only of yours, love is only judged by when you have no latest crush on anyone, because the girl whom you like is just a sweet angel for you and this world's beauty is just fall ashame infront of her, Love is only judged by when you got the proposals and your life is just passing on and your eyes are waiting in search for someone special.
                                          And now a days, after one to month of their relationship they fallen in love , they even itself did a sex, they even itself cross each limit of their paternal, because they have only one answer that WE LOVE EACH OTHER, THEN WHY THIS IS WRONG TO THEM??
                                  And I'm proud of mine that I love a girl whom i never seen from  last one year , but i have still a wait for her, that she came to my life and told me that I LOVE You. But i know the fact of my life that she never come to my life, and I'm happy for this because I know that I'm true in my love and this love always pushed me on my way or on my aim that you have to done this job, and you have to got your target because someone want it for you that you remain happy in your life.
                     I Love you ma'am but you don't realized it. And Thanks for it that you don't realize it because till then I credited you all the achievements to you, that if you are not in my life , then these achievements of mine never will be completed, so THANKS for everything,,,          

                   

Sunday, March 6, 2011

askon ki baatein...

अन्धेरें में अश्क दिखतें नहीं, इसका ये मतलब नहीं,,
कि मैं रोता नहीं....

तुमसे निगाहें छुपाने कि कोशिश करता हु, इसका ये मतलब नहीं,,
कि मैं तुमको याद करता नहीं.....

जिमेदारियां हैनं  मेरे सर पे भी, उनसे खुशगवार हु मैं,,
समझता हु उन सब को ,बस कहता नहीं तो इसका ये मतलन नहीं,
कि मैं उनको निभाता नहीं....

आईने में देखती हैं तेरी नज़र मुझको देखती हुई चुपके से,
आइना देखना अब छोड़ दिया है,इसका ये मतलब नहीं,,
कि तुमसे मोहब्बत करता नहीं...

तुम जरा सामने आओ तो सायद ये कह सकूँगा मैं तुमसे कभी,
कि अब लौट आओ, अब दिल ये कहीं लगता नहीं....

थक चूका हु कहते कहते,कि ये दिल अब कहीं लगता नहीं,
लौर आओ, लौट आओ, बस अब यहाँ मन मेरा लगता नहीं....

Friday, March 4, 2011

Is it right to say that Time heels everything???

Someone truly said that time heels everything, but how much extent?? If it has the power of heeling then it have to freshens the memorize of past but why it is not so? Why the memories of first crush and the first love ( especially for those whose crush and one is the same person), never washed out from the mind. 
                               If time has this power, then there is no mis-conception between two fights held between two mind. Time has unlimited power, to change the person from rich to poor, poor to rich, death to live and many things.
           But it has no power to cure the heart's pain. Because the memories of your loved ones never be washed from your heart , from your mind , and from your soul. How do you forget the essence of your love? How do you forget the activities when you passed your time with your loved ones? 
                                And the answer to all above question that if you loved the person with real heart, then there is no thing in this world who has a power to forget these memories. 
                    Always remember one thing that love the love , don't show the extremity of love. and it is better said by me that--

प्यार विछ प्यार न किदा, तो क्या किदा....
अपने प्यार तैनू थोडा गम न सीदा, तो क्या सीदा...
तैनू विछ प्यार किया है, तैनू विछ मरनी सोह,,,
तू मैनू प्यार न समझी सी, ये तैनू नहीं,,
मेरे प्यार की कमिया सोह.....

and the love continued in search of my first and last love......( who is not in my life...)

Thursday, January 13, 2011

Am I egoistic???

Today, someone told me that you are always in your ego,you are treating other like a heartless guy, and many more with weeping eyes,and with sweet angry eyes, and with full of emotions and many more, and as always I only listened to her silently, because she don't know me as I'm from my heart. But actually she is only seen those things which I show to this anxious and cut-nail competition world. But I'm happy to show these all to her and this sarcastic world.
                               But I want to ask my all readers that to do a hard work more than others is an egoistic nature, to take the impossible challenges is an egoistic nature, to make love the person more than she require ( which she has no capable to achieve this love ) is an egoistic in nature, or to make busy in myself is an egoistic in nature, and to make some money is an egoistic in nature. And if these all are egos point then I'm an egoistic guy and I'm happy in this all. 
                                        But can someone answer that these deeds of above, for whom I did. I did actually for my satisfaction and in this meanwhile journey, it helps to others also. But why people don't understand it? 
                              In childhood, I think one thing, that when child got a hurt by falling on floor himself, then he didn't weep, But if anyone by circumstance, a little finger of other touch and then he fall on the floor, then he weep more than he hurt. Why this occur? Because we are always from birth, giving blame to others not to ourselves, and in this our ego has been increasing and we forget all relationship in our ego.
                                      and this is happen to me, and I'm ready to take all my punishment  but at last I want a answer that does it really my mistake? I love my passion and I like those person who are more capable than  me If this is my ego then give me punishment as you want, But I want to love those who want a little help from me to guide themselves and If this is my ego then give me punishment as you want....
                                       But today I know one thing that I'm a heartless guy......and I'm happy for that.....

Whats the title???

I'm hereby confused that what is the title of my 50th blog, many of friends said that yoh have no necessity to have a title, So what? But now on my 50th blog I want to show all my thanx and love to all those who read my blogs and liked it. But some of my friends told me that Abhishek are you really spoken truth? And as always I have no answer of them.
                            But my heart know that How i'm pure toward my love? Some one said that you are not looked by face that you loved a girl that much you write in your blog. And I always told them that these are the facts of heart nor by face, and if she denied me then its my love for her that I'm always loving her, and this is not the condition of love that whom you loved she also loved you....
                                        But my fifty blog is for all my readers who give valuable time to my blogs, and publicise my blogs,,
and I promised to all my reader to complete my 100th blog as soon as possible..
                    so thanks to my love and all my surroundings who give me insipiration for writing,,, 
             

Wednesday, January 12, 2011

The pain of yours!!!!

Generally, pain is defined as the hurt given by any physical means, or by any feelings. But Can anyone judge the feelings of others? Mostly we haven't. But This pain is just a real feeling and this feeling is only caught you when you are understand and by heart when you feel the emotions of others.
                                         Today, someone told me that, " Do you realize my pain? And this is easy to give a pain, but a difficult to feel....." And this sentence change my whole emotions at that time, But I want to give answer, but her tears just paused me to say any single word. Her angry feelings, her hate feelings, her eyes full of tears, her expressions paused me to say any little word because she is in pain, and from her view I'm a person who don't understand the feeling of anyone.
                                           And from moving from there, I just think one fact that," Can I feel the pain of anybody, IS SHE RIGHT, that Abhishek Maurya is a heartless person." But how I judge myself because this is the judgement made by others, And mostly our heart say only those facts whom we want to listen , so I'm not the worthy person to give any judge upon myself.
                                                 But I never forget the little eyes of that girl whose eyes want to give me the punishment for that work whom I don't want to did. But actually I'm  at that position where I've no words to give any justification for my punishment, and my heart is ready to take any punishment that she want to give, because my heart feels the same feeling of her when she is in the pain. And I love to be feel that punishment, Because I'm a culprit of her.
                                       I just want to say the feeling of my heart before taking my punishment that I also a heart who understand the feeling of yours, I've also eyes who blinks with salty water when it wants to feels, I've also a heart who is not dead, I'm strong to save from others, and this world always hurt it , So I'm feeling like a heartless guy. But Actually I understand your pain and your feelings for me who want me to drag to hell.
                         And I'm ready to go to hell because of you only . Because of only one reason that I GIVE YOU PAIN............ I realized your pain but I've no words to describe my pain for anyone because I'm a HEARTLESS GUY...................