Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Tuesday, July 12, 2016

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,
जब वो थाली हमको देती थी,,
और कहती थी कि उसको भूख नहीं !!

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,
जब बुखार उसको आता था,,
दवाई ने वो लेती थी,,
कहती यही कि वो ठीक है,,
क्योंकि अगले दिन स्कूल की फीस जो भरनी होती थी!!

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,
जब वो आखिरी बार मुझसे कह रही थी,,
कि मेरी आँखों में वो आँसू कभी देख नहीं सकती,,
वो कहीं नहीं जा रही,,,
वो हमेशा मेरे साथ रहेगी !!

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,
जब जमीन पे हम गिर जाते थे,,
माँ सिर्फ ये कहती थी,,
कि चींटी मर गयी,,
और चुप चाप गोदी उठा लेती थी,,
और आंसूं पोंछ देती थीं !!

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,

Tuesday, July 5, 2016

मेरे चंद दिन और बाकी है!!!

This is the poem of a Mother when she feels these line for his son when he sends her to the Old Age Homes. These are the lines which are never told by the mother to his son because she think that Son always understand the mother. But in the busy schedule of the present generation, mother always want the love for a second. So write these lines when I visit one Old Age Home and talk to them personally.


अभी तो कुछ और दिन जी लो मेरे साथ,,
मेरे चंद दिन और बाकी  है,,


तुझे मेरी गोद का एहसास जरूर होगा,,
जब तुझे अपने नर्म तकिए पे नींद नहीं आएगी,,


तुझे अपने कंधे पे अब  सूनापन महसूस होगा,,
जब बाप का आश्रय तेरे कंधों पे न होगा,,,


दिन भले ही कट जाए,,रात भी तू काट सकता है,,
ये मुझे यकीन है,,
जब दर्द की बारिश होगी,,
मेरे आँचल की कमी तुझे जरूर महसूस होगी,,


तेरे वक़्त को बनाने में,,
मेरे वक्तों में कमी हो गयी,,
मुझे आज भी फक्र है,,
कि मेरे बलिदान से तू संवर गया,,

लेकिन,,

अभी तो कुछ और दिन जी लो मेरे साथ,,
मेरे चंद दिन और बाकी  है!!!