Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Thursday, August 25, 2016

वाह रे दुनिया तेरी अलग कहानी !!

वाह रे दुनिया तेरी अलग कहानी  !!

जो  तुझको मिल गयी,, उसकी कोई कद्र नहीं,,
और जो न मिला,, उसके पीछे भागे रे दुनिया !!

वाह रे दुनिया तेरी अलग कहानी  !!

हाथ में एक लड्डू समाये,,
दूसरा लड्डू भी रखना चाहे,,
दोनों ही एक साथ गिर जाए,,
फिर सुना हाथ ही आये!!

वाह रे दुनिया तेरी अलग कहानी  !!

जवानी में पेट काट - काट के पैसा जमाये,,
बुढ़ापे में वही पैसा दावा-दारु में लगाए!!

वाह रे दुनिया तेरी अलग कहानी  !!

पैसो से लोग ख़रीदे,,
पैसा हुआ बर्बाद,,
रिश्तों की कभी न सोची,,
जिंदगी रही  बेबुनियाद,,

वाह रे दुनिया तेरी अलग कहानी  !!

सामने भोला चेहरा दिखाए,,
मन में सिर्फ विष पाले,,
 बुरा करने का मौका न गवायें ,,
ख़ुद ही पापियों में अपनी गिनती बढाये !!

वाह रे दुनिया तेरी अलग कहानी  !!
वाह रे दुनिया तेरी अलग कहानी  !!


Monday, August 8, 2016

आदत !!

...मैं अब सोता रहता हूँ माँ,,
मुझे मेरे सर पे तेरे हाथ फेर के उठाने की आदत जो थी  ,,

मैं अब कुछ भी दिल की बातें किसी से कहता नहीं हूँ माँ,,
मुझे सिर्फ हर बात तुझको बताने की आदत जो थी,,

मुझे अब रात में नींद नहीं आती,,
मुझे तेरे सिरहाने बैठ कर लोरी सुना के सुलाने  की आदत जो थी,,

मुझे अब जीने की कोई खवाइश नहीं,,
मुझे जिंदगी  का हर कदम तेरे संग चलने की आदत जो थी,,

अब तुम नहीं हो,, तो साथ कुछ भी नहीं,,
अब मेरे पास तुझे याद करने के अलावा कोई आदत नहीं हैं  !!

Tuesday, July 12, 2016

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,
जब वो थाली हमको देती थी,,
और कहती थी कि उसको भूख नहीं !!

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,
जब बुखार उसको आता था,,
दवाई ने वो लेती थी,,
कहती यही कि वो ठीक है,,
क्योंकि अगले दिन स्कूल की फीस जो भरनी होती थी!!

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,
जब वो आखिरी बार मुझसे कह रही थी,,
कि मेरी आँखों में वो आँसू कभी देख नहीं सकती,,
वो कहीं नहीं जा रही,,,
वो हमेशा मेरे साथ रहेगी !!

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,
जब जमीन पे हम गिर जाते थे,,
माँ सिर्फ ये कहती थी,,
कि चींटी मर गयी,,
और चुप चाप गोदी उठा लेती थी,,
और आंसूं पोंछ देती थीं !!

माँ ने ही जुठ बोलना सिखाया,,

Tuesday, July 5, 2016

मेरे चंद दिन और बाकी है!!!

This is the poem of a Mother when she feels these line for his son when he sends her to the Old Age Homes. These are the lines which are never told by the mother to his son because she think that Son always understand the mother. But in the busy schedule of the present generation, mother always want the love for a second. So write these lines when I visit one Old Age Home and talk to them personally.


अभी तो कुछ और दिन जी लो मेरे साथ,,
मेरे चंद दिन और बाकी  है,,


तुझे मेरी गोद का एहसास जरूर होगा,,
जब तुझे अपने नर्म तकिए पे नींद नहीं आएगी,,


तुझे अपने कंधे पे अब  सूनापन महसूस होगा,,
जब बाप का आश्रय तेरे कंधों पे न होगा,,,


दिन भले ही कट जाए,,रात भी तू काट सकता है,,
ये मुझे यकीन है,,
जब दर्द की बारिश होगी,,
मेरे आँचल की कमी तुझे जरूर महसूस होगी,,


तेरे वक़्त को बनाने में,,
मेरे वक्तों में कमी हो गयी,,
मुझे आज भी फक्र है,,
कि मेरे बलिदान से तू संवर गया,,

लेकिन,,

अभी तो कुछ और दिन जी लो मेरे साथ,,
मेरे चंद दिन और बाकी  है!!!

Saturday, May 7, 2016

माँ !!

वो लाख दुआएं मंदिरों में जाकर करता है,,
लेकिन घर के देवताओं के सेवा करना भूल जाता है !!

शुक्र है दुनिया ने हर रिश्तें के लिए एक दिन जरूर बना दिया,,
लोग साफ़ कर लेते है पुराने रिश्तों पे पड़ी धूल को इसी दिन के बहाने से!!

गूंगा हो भले ही क्यों लेकिन, उसकी जुबां से भी माँ का स्वर ही  सुनाई देता है,,
दर्द में हो या ख़ुशी के मदहोश नशे में, तब भी माँ के एहसास याद आता है !!

देखो लम्बाई में,,  मैं माँ से कितना लम्बा हो गया,,
वो आज भी जब देखती है,, तो मैं अपने को बहुत छोटा मानता हूँ !!

मैं तो दुनिया से कब का हार मान लेता,,
लेकिन मेरी माँ थी,, जिसने बचपन में ही सूरज को मुठी में बंद करना सिखाया था,,

लोग चाँद सितारों की सैर के लिए पता नहीं क्या क्या करते है,,
मेरी माँ तो हर रात मुझे उनमे घुमाया करती थी!!

मैंने सोचा कि माँ के बारे में कुछ तारीफ मैं अपनी डायरी में लिख दूँ,,
जब लिखने बैठा तो सब गीता कुरान में तब्दील हो गया!!

माँ का मोल अब इस दुनिया में कौन लगाएगा,,
शायद ब्रह्मा विष्णु महेश भी अपने को नतमस्तक पाएगा!!


Sunday, January 31, 2016

ऐ ख़ुदा !!

... मैं कितना खुदगर्ज़  कैसे हुँ,,
ऐ  खुदा ,, जो सिर्फ अपने लिए ही जी रहा हुँ ,,
अब बहुत कुछ करना है मुझे उन आँखों के लिए,,
जो कई सालों से सिर्फ मेरे लिए सपने संजों रही है !!

मैंने उन आँखों में सपने देखे है,,
हज़ारों अरमान देखे है ,,
नज़र किसी की न  लगे ,, ऐसे ख्वाब देखे है ,,
काला साया मेरे ऊपर अब कैसे आएगा,,
दुआओं के जो दो हाँथ मैंने अपने सर पे देखे है!!

अब कोई ख्वाइश मेरी न रह गयी ,,
अब कुछ अपनों की मुरादे पूरी करनी ,है,
बस इतनी रेहमत देना ऐ ख़ुदा ,,
ईमान में जो कुछ है,, बस पूरा करने का हौसला देना ऐ ख़ुदा !!