मैं आज फिर से एक कहानी लेकर आया हूँ फिर वही कहीं आप के दिल को छूती हुई और कुछ मेरे दिल को छूती हुई, आज की कहानी एक ऐसी लड़की पे है जिसको कभी अपने आपसे प्यार हुआ करता था, मगर उसको कभू उसको उसके जैसे चाहना वाला नहीं मिला, वो लोगों को खुश करने में लगी रहती थी, लोगों की हमेशा मदद कैसे करते हैं ये उस से अच्छा शायद ही कोई जनता हो, मगर ये दुनिया भी कैसी हो गयी है, कोई नहीं समझता था उसकी भावनाए तो लोग ऐसे तोड़ते थे जैसे किसी कांच को तोड़ रहे हो, मगर कहते हैं अची नहीं जाती किसी के कुछ करने से, और वो हमेशा लगी रहती थी लोगों की किसी न किसी तरीके से मदद करने में......
शायद हुआ भू लय भगवन ने उसको वहां पंहुचा दिया जहाँ उसकी जरुरत थी, उसकी पोस्टिंग आसाम के एक छोटे से गाँव हिलाई में हुई थी, दरअसल वो एक वनस्पति विज्ञानं की रेसेअर्चेर थी, इसीलिए उसे उन इलाको से अक्सर जाना पड़ता था जहाँ उसे कुछ-न कुछ मिल जाये, वो हमेशा की तरह मस्त, खुद से खुश, दुसरो के लिए तत्पर, उसे वहां की जिंदगी बहुत अच्छी लगने लगी थी, उसको वहां की हरियाली से प्यार हो गया था,शायद उसको उसकी जन्नत मिल गयी थी,
इतने में एक दिन उसके दरवाजे पे किसी की रोने की आवाज आई, उसने समय देखा तो रात के १ बज रहे थे, इतनी रात को कौन रोता है, बड़ी खतरनाक सी आवाज, इतनी की किसी की आंखें नींद से ना खुले ऐसा नहीं हो सकता था, उसने अपनी आँख खोली,,हिमत बने , टोर्च ढूंडा, और चल पड़ी दरवाजा खोलने के लिए, दरवाजा जब उसने खोला, तो दखा, की सामने कुछ नहीं था, उसने दरवाजा फिर बंद कर दिया, फिर से वाही रोने सी आवाज आई, उसने फिर दरवाजा खोला, तब देखा की उसके night सुइते को कोई निचे से खीच रहा है, उसने देखा तो हैरान, डर गयी की ये कहाँ से आ गया, क्योंकि वो एक शेर का बचा था, पहले तो उसकी हिमत नहीं हुई, की एक शेर के बचे को उठाने की , मगर बाद में उसने हिमात दिखाई, और उसको उठा लिया, उस छोटे से बचे पर किसी ने हमला किय हुआ था, उसकी टांग पे किसी ने कुछ मार रखा था की उसकी तंग पूरी तरह से खून से सनी हुई थी, ऐसा मार्मिक द्रह्स्य देखकर उसकी आँखें नम हो गयी, उसने उसकी मरहम पट्टी की और किसी को नहीं बताया की उसके पास एक शेर का बचा है , क्योंकि हमारे समाज में सब कुछ स्वीकार कर सकते हैं मगर उसको नहीं जो आपको नुक्सान पहुचता हो, और वैसे भी आज कल के लोगो को अपने दुःख सुख से ज्यादा परेशानी के दुःख सुख से मतलब होने लगा है, उनको बिलकुल बर्दास्त नहीं होता है की आप कोई भी वैसा काम करो जिस से की उनको कोई नुक्सान हो,और ये तो शर का बचा था,
आज के ज़माने में आदमी अपने बारे में ज्यादा सोचता है , और अपने लिए वो किसी भी को मार सकता है, और वो लोग बिलकुल भी शेर के बेचारे बचे को जिन्दा नहीं छोड़ते, , इसी के डर से मिस जूलिया ने किसी को कुछ नहीं बताया, चुप चाप उसको पालने लगी,बिलकुल जैसे की उसकी माँ हो,उसको सुबह दूध देना, उसको बिलकुल वाही खाना खिलाना जो वो खुद खाती थी, ऐसे तैसे चलता रहा, जैसे की उसकी सुनी दुनिया फिर से एक बचे के आने के बाद आबाद हो गयी है, :
क्या चेहरा है उस जन्नत के मासूमो का,
की दुनिया में जितना हो मारामारी,
एक चहरा झलक दिखा दे वो,
की मुस्कान चेहरे पे आ जाये खुद,,
की मुझको भी दे वो हस्त हुआ चेहरा एक बार फिर,
की मैं भी इस दुनिया में जी लूँ एक बार जन्नत फिर....
देखते देखते वो बड़ा हो गया था, मिस जूलिया ने कभी भी मॉस को हाथ नहीं लगाया था, मगर अपने बचे जैसे को शेर को खिलाने के लिए, उसने मॉस ख़रीदा और खिलाया अपने बचे को,हाँ अब हम उस शेर के बचे को मिस जूलिया का बचा कह सकते है, कहें भी क्यों न कहे, वो जी भी तो रही थी एक माँ-बचे की तरह, भगवन करे किसी को उसकी नज़र न लगे, कौन कहता है की मात्र्तव हमेशा इंसान के बचों पर ही झलकता हैं , आज मिस जूलिया ने ये साबित कर दिया था की वो एक असली माँ थी, मगर कहते नहीं की जैसे जैसे इंसान बड़े होते हैं उसकी खबर भी दुनिया को पता चल जाती हैक बिलकुल हुआ भी वैसे , लोगो को एकसास हुआ की मिस जूलिया कुछ छुपाती है, वो एक स्त्री जिसने कभी मॉस खाया नहीं वो अब मॉस लेने लगी है, लोगों ने जब मिस जूलिया से पूछा, तो मिस जूलिया ने पहले तो मन किया, मगर बाद में मान गयी की हाँ मैंने शेर के बचे को पाला है, वो बिलकुल इंसान जैसा हैं , मगर पड़ोसियों को इसकी कहाँ फड़क पड़ता हैं , उनको तो बस अपनी लगी थी,
आज तो हद्द हो गयी किसी ने forest officer को बुलवा लिया था, आज मिस जूलिया परेशां थी, फोरेस्ट ऑफिसर बिलकुल नहीं मान रहा था, और वो शेर के बचे को ले गया, मिस जूलिया आज अपने बचे को बचाने के लिए कुछ नहीं कर पाई , आज इस समाज ने उसकी माँ की भावना को सूली पर चदते हुए फिर से साबित कर दिया की समाज की सोच सोचउन्ही रूधि वधिता पे चली जा रही है जहाँ किसी की भावना को तो यहाँ रोज एक बाज़ार में बेचा जाता है और रोज ख़रीदा जाता है,समाज सिर्फ नाम का समाज रह रहा है, आज के jamane में वही जीत सकता है जो समाज से लड़ाई कर सके , और इसको जो बदलने आये वो या तो dhumil हो गए धुल की तरह या कहीं दब गए किसी की लाश की तरह जिसको धरती की गोद में सुला दिया गया है,,,,
जब शेर के बचे ने,,अरे नहीं मिस जूलिया के बचे ने, जब सब कुछ खाना छोड़ दिया, तब फोरस्ट ऑफिसर से रहा नहीं गया, उसने कहा हम आप की एक परीक्षा लेंगे अगर शेर के सामने हमने खून दिखाया और इसने अगर कुछ भी किया, तब हम इसको जंगले में ऐसे जगह छोड़ देंगे की ये वहां से लौट नहीं आ पायेगा,अगर वो खाना खता भी नहीं है तो बाकि जानवर इसको मार देंगे, ऐसी परीक्षा!!!, अगर शेर के सामने खून से लटपट मॉस रख दो और वो खाए न, ऐसे कैसे हो सकता है, फोरेस्ट ओफ्फिसेर पूरी तरह से जितने की ख़ुशी में तैयार, मगर मिस जूलिया ने उसकी शर्त को मान लिया, उसने कहाँ ठीक है, आज मैं इस परीक्षा की तैयरी के लिए भी तैयार हुईं,
अगले दिन सब लोग इस मंजर को देखने के लिए तैयार, मिस जूलिया को अपने मात्र्तव की भावना पे तैयार थी, उसने तो हमेशा उसको वही सलाह दी जो उसके लिए हमेशा अछी रही, आज माँ-बचे की परीक्षा की घडी है, उसने बस शेर के कान में कुछ कहा, और बस फोरेस्ट ऑफिसर से कह दिया की आप अपना काम करे, फोरस्ट ऑफिसर ने भी एक बिलकुल ताजा परिंदे को मार के लाये थे, और वो शेर के सामने रख दिया, शेर भी गया, फोरेस्ट ऑफिसर भी बड़ा खुश उसको पता नहीं मिस जूलिया से कैसी दुश्मनी हो गयी थी, वो अन्दर ही अन्दर खुश होता जा रहा था, शेर जैसे जैसे आगे बड रहा था, लोगों की नज़र बस उसकी की ओरे थी, मगर जैसे ही शेर ने उसको शुन्घा , कुछ लोगों में ख़ुशी का माहौल और कुछ लोग थोड़े से हताश, की अब क्या होगा, आज हताश लोगों को देख के लग रहा था की अभी भी कुछ लोगों में माँ की भावना है,
शेर ने सुंघा उस मरे हुए परिंदे को, खून से लटपट परिंदे को, और उसको उठाया ओने मुह से, फिर लौटा , ऑफिसर तो ख़ुशी के मारे हस रहा था, और बस कह दिया की मैं जीत गया, मगर बिलकुल उसिन वक़्त वो शेर का बचे ने, नहीं मिस जूलिया के बचे ने उस परिंदे को मिस जूलिया के पैर में दाल दिया, और फिर घर के अन्दर चला गया, लोगों के अन्दर ख़ुशी,मगर उस दिन मिस जूलिया की ख़ुशी इतनी थी वो चेहरे से हसीं नहीं मगर वो ऑफिसर के पास आकार बोली, अभी भी जानवर में इंसानियत जिन्दा है , उनके अन्दर भी माँ की वेदना का ख्याल है, जरा आप लोग तो नम्र हो.....आज मिस जूलिया ने साबित कर दिया था, की माँ का मातृत्व कुछ भी हासिल कर सकता है, बस एक बार माँ का मातृत्व दिखाए तो कोई,,,,कुछ लोगों ने हैरानियत से पूछा की आपने उसके कान में क्या कहा था, तो उसने बस ये जवाब जवाब, मैंने तो बस उसे कहा की बचपन बचपनसे मैंने तुमको बल उठाना सिखाया था और तुम बल मेरे पास ले आते थे था, वही करना और उसने बस वही किया, और बचपन की तरह बाल मेरे पास ले आया , और खाने के लिए अन्दर चला गया, बच्चा भूखा है, , बस खाने की जल्दी में अन्दर चला गया है, कई दिनों दिनोंखाना खाया नहीं है, आज मैं उसको अपने हाथों से खिलौंगी ......
और यहीं ख़तम होती है कहानी मिस जूलिया की,,,,
तुम सब कुछ हासिल कर सकती हो,
तुम किसी में भी जान दाल सकती हो,,
हे माँ तुम क्या से क्या कर सकती हो,,
साया न हटाना मुझ पर से कभी,,
शायद जान जो तुने दी है मुझको कभी,,
शायद अकेला न जी पाऊं उसको साथ में लेकर कभी....
शायद हुआ भू लय भगवन ने उसको वहां पंहुचा दिया जहाँ उसकी जरुरत थी, उसकी पोस्टिंग आसाम के एक छोटे से गाँव हिलाई में हुई थी, दरअसल वो एक वनस्पति विज्ञानं की रेसेअर्चेर थी, इसीलिए उसे उन इलाको से अक्सर जाना पड़ता था जहाँ उसे कुछ-न कुछ मिल जाये, वो हमेशा की तरह मस्त, खुद से खुश, दुसरो के लिए तत्पर, उसे वहां की जिंदगी बहुत अच्छी लगने लगी थी, उसको वहां की हरियाली से प्यार हो गया था,शायद उसको उसकी जन्नत मिल गयी थी,
इतने में एक दिन उसके दरवाजे पे किसी की रोने की आवाज आई, उसने समय देखा तो रात के १ बज रहे थे, इतनी रात को कौन रोता है, बड़ी खतरनाक सी आवाज, इतनी की किसी की आंखें नींद से ना खुले ऐसा नहीं हो सकता था, उसने अपनी आँख खोली,,हिमत बने , टोर्च ढूंडा, और चल पड़ी दरवाजा खोलने के लिए, दरवाजा जब उसने खोला, तो दखा, की सामने कुछ नहीं था, उसने दरवाजा फिर बंद कर दिया, फिर से वाही रोने सी आवाज आई, उसने फिर दरवाजा खोला, तब देखा की उसके night सुइते को कोई निचे से खीच रहा है, उसने देखा तो हैरान, डर गयी की ये कहाँ से आ गया, क्योंकि वो एक शेर का बचा था, पहले तो उसकी हिमत नहीं हुई, की एक शेर के बचे को उठाने की , मगर बाद में उसने हिमात दिखाई, और उसको उठा लिया, उस छोटे से बचे पर किसी ने हमला किय हुआ था, उसकी टांग पे किसी ने कुछ मार रखा था की उसकी तंग पूरी तरह से खून से सनी हुई थी, ऐसा मार्मिक द्रह्स्य देखकर उसकी आँखें नम हो गयी, उसने उसकी मरहम पट्टी की और किसी को नहीं बताया की उसके पास एक शेर का बचा है , क्योंकि हमारे समाज में सब कुछ स्वीकार कर सकते हैं मगर उसको नहीं जो आपको नुक्सान पहुचता हो, और वैसे भी आज कल के लोगो को अपने दुःख सुख से ज्यादा परेशानी के दुःख सुख से मतलब होने लगा है, उनको बिलकुल बर्दास्त नहीं होता है की आप कोई भी वैसा काम करो जिस से की उनको कोई नुक्सान हो,और ये तो शर का बचा था,
आज के ज़माने में आदमी अपने बारे में ज्यादा सोचता है , और अपने लिए वो किसी भी को मार सकता है, और वो लोग बिलकुल भी शेर के बेचारे बचे को जिन्दा नहीं छोड़ते, , इसी के डर से मिस जूलिया ने किसी को कुछ नहीं बताया, चुप चाप उसको पालने लगी,बिलकुल जैसे की उसकी माँ हो,उसको सुबह दूध देना, उसको बिलकुल वाही खाना खिलाना जो वो खुद खाती थी, ऐसे तैसे चलता रहा, जैसे की उसकी सुनी दुनिया फिर से एक बचे के आने के बाद आबाद हो गयी है, :
क्या चेहरा है उस जन्नत के मासूमो का,
की दुनिया में जितना हो मारामारी,
एक चहरा झलक दिखा दे वो,
की मुस्कान चेहरे पे आ जाये खुद,,
की मुझको भी दे वो हस्त हुआ चेहरा एक बार फिर,
की मैं भी इस दुनिया में जी लूँ एक बार जन्नत फिर....
देखते देखते वो बड़ा हो गया था, मिस जूलिया ने कभी भी मॉस को हाथ नहीं लगाया था, मगर अपने बचे जैसे को शेर को खिलाने के लिए, उसने मॉस ख़रीदा और खिलाया अपने बचे को,हाँ अब हम उस शेर के बचे को मिस जूलिया का बचा कह सकते है, कहें भी क्यों न कहे, वो जी भी तो रही थी एक माँ-बचे की तरह, भगवन करे किसी को उसकी नज़र न लगे, कौन कहता है की मात्र्तव हमेशा इंसान के बचों पर ही झलकता हैं , आज मिस जूलिया ने ये साबित कर दिया था की वो एक असली माँ थी, मगर कहते नहीं की जैसे जैसे इंसान बड़े होते हैं उसकी खबर भी दुनिया को पता चल जाती हैक बिलकुल हुआ भी वैसे , लोगो को एकसास हुआ की मिस जूलिया कुछ छुपाती है, वो एक स्त्री जिसने कभी मॉस खाया नहीं वो अब मॉस लेने लगी है, लोगों ने जब मिस जूलिया से पूछा, तो मिस जूलिया ने पहले तो मन किया, मगर बाद में मान गयी की हाँ मैंने शेर के बचे को पाला है, वो बिलकुल इंसान जैसा हैं , मगर पड़ोसियों को इसकी कहाँ फड़क पड़ता हैं , उनको तो बस अपनी लगी थी,
आज तो हद्द हो गयी किसी ने forest officer को बुलवा लिया था, आज मिस जूलिया परेशां थी, फोरेस्ट ऑफिसर बिलकुल नहीं मान रहा था, और वो शेर के बचे को ले गया, मिस जूलिया आज अपने बचे को बचाने के लिए कुछ नहीं कर पाई , आज इस समाज ने उसकी माँ की भावना को सूली पर चदते हुए फिर से साबित कर दिया की समाज की सोच सोचउन्ही रूधि वधिता पे चली जा रही है जहाँ किसी की भावना को तो यहाँ रोज एक बाज़ार में बेचा जाता है और रोज ख़रीदा जाता है,समाज सिर्फ नाम का समाज रह रहा है, आज के jamane में वही जीत सकता है जो समाज से लड़ाई कर सके , और इसको जो बदलने आये वो या तो dhumil हो गए धुल की तरह या कहीं दब गए किसी की लाश की तरह जिसको धरती की गोद में सुला दिया गया है,,,,
जब शेर के बचे ने,,अरे नहीं मिस जूलिया के बचे ने, जब सब कुछ खाना छोड़ दिया, तब फोरस्ट ऑफिसर से रहा नहीं गया, उसने कहा हम आप की एक परीक्षा लेंगे अगर शेर के सामने हमने खून दिखाया और इसने अगर कुछ भी किया, तब हम इसको जंगले में ऐसे जगह छोड़ देंगे की ये वहां से लौट नहीं आ पायेगा,अगर वो खाना खता भी नहीं है तो बाकि जानवर इसको मार देंगे, ऐसी परीक्षा!!!, अगर शेर के सामने खून से लटपट मॉस रख दो और वो खाए न, ऐसे कैसे हो सकता है, फोरेस्ट ओफ्फिसेर पूरी तरह से जितने की ख़ुशी में तैयार, मगर मिस जूलिया ने उसकी शर्त को मान लिया, उसने कहाँ ठीक है, आज मैं इस परीक्षा की तैयरी के लिए भी तैयार हुईं,
अगले दिन सब लोग इस मंजर को देखने के लिए तैयार, मिस जूलिया को अपने मात्र्तव की भावना पे तैयार थी, उसने तो हमेशा उसको वही सलाह दी जो उसके लिए हमेशा अछी रही, आज माँ-बचे की परीक्षा की घडी है, उसने बस शेर के कान में कुछ कहा, और बस फोरेस्ट ऑफिसर से कह दिया की आप अपना काम करे, फोरस्ट ऑफिसर ने भी एक बिलकुल ताजा परिंदे को मार के लाये थे, और वो शेर के सामने रख दिया, शेर भी गया, फोरेस्ट ऑफिसर भी बड़ा खुश उसको पता नहीं मिस जूलिया से कैसी दुश्मनी हो गयी थी, वो अन्दर ही अन्दर खुश होता जा रहा था, शेर जैसे जैसे आगे बड रहा था, लोगों की नज़र बस उसकी की ओरे थी, मगर जैसे ही शेर ने उसको शुन्घा , कुछ लोगों में ख़ुशी का माहौल और कुछ लोग थोड़े से हताश, की अब क्या होगा, आज हताश लोगों को देख के लग रहा था की अभी भी कुछ लोगों में माँ की भावना है,
शेर ने सुंघा उस मरे हुए परिंदे को, खून से लटपट परिंदे को, और उसको उठाया ओने मुह से, फिर लौटा , ऑफिसर तो ख़ुशी के मारे हस रहा था, और बस कह दिया की मैं जीत गया, मगर बिलकुल उसिन वक़्त वो शेर का बचे ने, नहीं मिस जूलिया के बचे ने उस परिंदे को मिस जूलिया के पैर में दाल दिया, और फिर घर के अन्दर चला गया, लोगों के अन्दर ख़ुशी,मगर उस दिन मिस जूलिया की ख़ुशी इतनी थी वो चेहरे से हसीं नहीं मगर वो ऑफिसर के पास आकार बोली, अभी भी जानवर में इंसानियत जिन्दा है , उनके अन्दर भी माँ की वेदना का ख्याल है, जरा आप लोग तो नम्र हो.....आज मिस जूलिया ने साबित कर दिया था, की माँ का मातृत्व कुछ भी हासिल कर सकता है, बस एक बार माँ का मातृत्व दिखाए तो कोई,,,,कुछ लोगों ने हैरानियत से पूछा की आपने उसके कान में क्या कहा था, तो उसने बस ये जवाब जवाब, मैंने तो बस उसे कहा की बचपन बचपनसे मैंने तुमको बल उठाना सिखाया था और तुम बल मेरे पास ले आते थे था, वही करना और उसने बस वही किया, और बचपन की तरह बाल मेरे पास ले आया , और खाने के लिए अन्दर चला गया, बच्चा भूखा है, , बस खाने की जल्दी में अन्दर चला गया है, कई दिनों दिनोंखाना खाया नहीं है, आज मैं उसको अपने हाथों से खिलौंगी ......
और यहीं ख़तम होती है कहानी मिस जूलिया की,,,,
तुम सब कुछ हासिल कर सकती हो,
तुम किसी में भी जान दाल सकती हो,,
हे माँ तुम क्या से क्या कर सकती हो,,
साया न हटाना मुझ पर से कभी,,
शायद जान जो तुने दी है मुझको कभी,,
शायद अकेला न जी पाऊं उसको साथ में लेकर कभी....
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