Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Saturday, December 10, 2011

Kaasshh...

काश तुम मेरी आँखों को पड़ लिया करती,
तो शायद तुम मेरे साथ होती,,

काश तुमने मेरी मंजिल को अपनी आँखों से देखा होता ,
तो शायद तुम कुछ दूर और मेरे साथ चल दी होती,,

ख्वाईशें मेरे दिल की अपने लिए देख ली होती,,
तो शायद तुम्हारी सोच बदल गयी होती,,

काश तुमने समुन्दर की गहराई जान ली होती,,
तो शायद तुम मेरे इश्क की इन्तहा समझ चुकी होती,,

काश तुमने आकाश को बड़े प्यार से देखा होता,,
तो कितना करता हूँ प्यार मैं तुझको, ये तुम समझ चुकी होती,,

कभी नंगे पैर मेरे साथ समुन्दर की लहर की ओर भागी तो होती,,
तो मेरे साथ रहने का क्या फर्क है,,,ये तुम समझ चुकी होती,,

काश मेरे दिल की बातें तेरे दिल को भेद जाती,,
तब मेरे अश्कों की बातें तुम समझ चुकी होती,,

काश तुम मेरे सपनो को सही से देख पाती,
मैं तुम्हारे सपनो में क्यों हूँ ,,ये तुम समझ चुकी होती,,

काश मेरी तरह जरा होता खुद पर भरोसा,,
तो शायद आज तुम मेरे साथ होती,,


काश तुम मेरी आँखों को पड़ लिया करती,
तो शायद तुम मेरे साथ होती !!

(to be continued...)







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