बैठा हु मैं आज तक,
बहुत देखें तूफान मैंने,
इस छोटी सी उम्र में,
बहुत देख लिए भंवर मैंने,
बचपन से एक नाव पर......
डूब जाता मैं समंदर में ,
अगर तुम न होती,
आज बैठा हुईं जिस साहिल में,
वहां भी न होता मैं,
अगर तुम न होती,
अगर तुम न होती,
बचपन से जिस नाव पर ......
आज hu जहाँ पर भी ,
बचपन से धुंडने जिसको,
न मिलता वो मुझको,
अगर तुम न होती,
अगर तुम न होती,
बचपन से जिस नाव पर,....
लक्ष्य मैंने तुमको बतलाया,
राह तुमने मुझको दिखलाई,
पहुचता न मैं वहां पर,
न मिलता वो मुझको,
अगर तुम न होती,
माँ अगर तुम न होती,
maa अगर तुम न होती,
बचपन से जिस नाव पर ....
ये शीश नवा हैं ,
तेरे पदकमलो पे,
तू न होती तो,
क्या अस्तित्व था हमारा,
सोच के भी रोते हैं,
ये सोच के भी रूह कापती हैं,
माँ अगर तुम न होती,
माँ अगर तुम न होती,
जुदा न होना हमसे कभी,
बस ये गुजारिश दिल से करते हैं,
माँ हम आप से बहुत प्यार करते हैं,
बस कहने में थोडा हिचकते हैं,
माँ हम आपसे बहुत प्यार करते हैं,
बचपन से जिस नाव पर,
बैठे हु मैं आज तक,
दूब जाता मैं समंदर में ,
अगर टीम न होती,
माँ अगर तुम न होती...!!!
awesome poem...!!
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