Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Saturday, July 6, 2013

मेरे हाथ.........

मेरे हाथ मुझसे हर बार सिर्फ ये कहते है,,
कि मैं थक चूका हूँ मेहनत करते-करते,,
मैं हर बार उनको समझाता हूँ,,
कि तेरे लिए ही तो सब कर रहा हूँ मैं,,
तेरी लकीरों को ही तो बदल रहा हूँ मैं,,
कि तू एक दिन पा सके उस कलम को,,
जिस से खुद की लकीरे तू खुद लिख सके ....

फिर वो मुझसे पूछते है,,
की उस दिन मेरा क्या फलसफा होगा,,
मेरा उस दिन क्या मुक़ाम  होगा,,
कोई जानेगा क्या  मुझको उस दिन,,
क्या मेरा भी उस दिन कोई अरमान होगा,,

मैं फिर उसको समझाता हूँ,,
की उस दिन सिर्फ तेरा ही नाम होगा,,
जो देते थे तेरा साथ छोड़,,
उनको तेरे से मिलने का इन्तेजार होगा,,
सारी  दुनिया झुकी होगी तेरे सामने,,,
सिर्फ और सिर्फ तेरा ही नाम होगा ,,

तो हो जा तैयार तू एक बार फिर मेरे हमसफ़र,,
कि  इस वक़्त तू ही  मेरा सहारा ,,मैं तेरा सहारा हूँ,,
दुनिया में इस वक़्त कोई नहीं हमारा है,,
बस करता रहे मेहनत दिलो जान से तब तक,,
जब तक लिख न सके खुद की लकीरे खुद अपने हाथ से..




No comments:

Post a Comment