वो मुझसे दूर ,,है जैसे दिल से धड़कन,,,
वो मेरे पास है,,,जैसे नदियों से उसका किनारा,,,
हमारा प्यार है जैसे,,,कोई नदी की एक हो धरा,,,
जुदा भी है,,,पास भी है,,,फिर भी है,,,मोतियों की एक माला...
वो मेरी आँखों के सामने ,है,,जैसे हो मेरे अक्स का ही एक साया,,,
वो मेरे मुख में है,,जैसे हो मेरी ही शब्दों की एक माया,,,
राहों पे पथ है वो मेरा,,,जैसे मेरे ही लक्ष्य का एक काया,,,
अधूरे सपनो के पुरे होने की एक मंगल छाया,,,,
जनम मरण की एक पहेली का एक अनोखी सी बाधा,,
प्यार बिन जीना हा,,,ये जीने बिन प्यार के,,,
ये एक अजीब सी है एक छोटी सी काधा ,,
मरने के बाद स्वर्ग मिलेगा या,,,इस दुनिया को स्वर्ग बनाना है,,,,
इस अजीब सी उलझन में ये एक कृष्ण की एक राधा है,,,,
विसंगतियों से भरी हुई,, संगतियों से छुपी हुई,,,
ये अजीब सी एक माया है,,,,
मिलोगे इस से तो एकसास होगा ,,
की ये सिर्फ एक अनोखा सा छल रूपी साया है,,,
इस दुनिया में बहुत से आईने देखें मैंने,,,
तेरे जैसा साचा अक्स न देख पाया मई,,,
खुद को पाया ,,शायद सचे ईमान से,,
शक्शियत जो थी मेरी,,,वो पूरी हुई,,,
तेरे दीदार को जब से मैंने अपना माना है।...
रोई हुई पलकों में अश्रों की एक झाला है,,,
उन अश्रों में भी तेरे ही अक्स के छाया है,,,
करीब आ जाओ,,,गले लग जाओ,,,
वर्ना दूसरा समंदर बनने में,,,
अब कोई भी नहीं दूसरी माया है।....
love you.....
वो मेरे पास है,,,जैसे नदियों से उसका किनारा,,,
हमारा प्यार है जैसे,,,कोई नदी की एक हो धरा,,,
जुदा भी है,,,पास भी है,,,फिर भी है,,,मोतियों की एक माला...
वो मेरी आँखों के सामने ,है,,जैसे हो मेरे अक्स का ही एक साया,,,
वो मेरे मुख में है,,जैसे हो मेरी ही शब्दों की एक माया,,,
राहों पे पथ है वो मेरा,,,जैसे मेरे ही लक्ष्य का एक काया,,,
अधूरे सपनो के पुरे होने की एक मंगल छाया,,,,
जनम मरण की एक पहेली का एक अनोखी सी बाधा,,
प्यार बिन जीना हा,,,ये जीने बिन प्यार के,,,
ये एक अजीब सी है एक छोटी सी काधा ,,
मरने के बाद स्वर्ग मिलेगा या,,,इस दुनिया को स्वर्ग बनाना है,,,,
इस अजीब सी उलझन में ये एक कृष्ण की एक राधा है,,,,
विसंगतियों से भरी हुई,, संगतियों से छुपी हुई,,,
ये अजीब सी एक माया है,,,,
मिलोगे इस से तो एकसास होगा ,,
की ये सिर्फ एक अनोखा सा छल रूपी साया है,,,
इस दुनिया में बहुत से आईने देखें मैंने,,,
तेरे जैसा साचा अक्स न देख पाया मई,,,
खुद को पाया ,,शायद सचे ईमान से,,
शक्शियत जो थी मेरी,,,वो पूरी हुई,,,
तेरे दीदार को जब से मैंने अपना माना है।...
रोई हुई पलकों में अश्रों की एक झाला है,,,
उन अश्रों में भी तेरे ही अक्स के छाया है,,,
करीब आ जाओ,,,गले लग जाओ,,,
वर्ना दूसरा समंदर बनने में,,,
अब कोई भी नहीं दूसरी माया है।....
love you.....
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