Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Tuesday, September 17, 2013

आज रात को मुझे ये सिखला देना part 5

this poem is continued from my one of the creations आज रात को मुझे ये सिखला देना....hope you will like it more...

वो मुझे बदलने को कह गए ,,,
और चुप चाप कह गए ,,
कि बदलना तुम कभी किसी के लिए नहीं,,
मैंने कहा ये भी मुझको ठीक है,,
मगर जो मुझको बदल के चली गयी हो,,
मुझको अब कौन संभालेगा ,,
बस इस बात को आज मुझे बतला देना,,
आज रात को मुझे ये सिखला देना। 


वो हमे तडपा के युहीं चले गए,,,

और चुप चाप ये कह गए ,,
कि तड़पना तुम कभी किसी के लिए नहीं,,
मैंने कहा ये भी रजा मंजूर है,,
ये भी मुझको ठीक है,,,
मगर तुम्हारी नराजगी का गुस्सा मैं किसी पे न निकालू ,,
मैं अपने आपको कैसे संभालूं,,
मैं अपने आंसुओं को कैसे अब छुपा लूँ,,,
बस इस बात को आज मुझे बतला देना,,
आज रात को मुझे ये सिखला देना। 


आज रात आखिरी बार बात कर रहा हूँ,,,

जो मांगू वो दे देना,,
जो पूछू वो बता देना,,
बस हर बात का जवाब मुझको बतला  देना,,
आज रात को मुझे ये सिखला देना। 

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