Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Saturday, December 1, 2012

ये जिंदगी है भाई।।।

ये जिंदगी है भाई ,,
क्या से क्या दिखाती है।।।

एक साल पहले ,, खुद पे बड़ा ऐतबार था ,,
अब देखा जब आइना ,,तो इस हाथ में कुछ न था ,,
सुना है पथझार में ,,सूखे पेड़ पे हरियाली फिर से आती है,,
मुझे तो इन्तेजार है उस सूखे पेड़ का फिर से हरा होने का।।।।


ये जिंदगी है भाई ,,
क्या से क्या दिखाती है।।।

जिस दौड़ में मैं हमेशा अव्वल रहा करता था ,,
आज उस दौड़ में सबसे पीछे खड़ा हु,,
दुनिया मुझसे कितनी आगे निकल गयी है जब जागा तब देखा,,
जब जागो तब सवेरा होने की आस की कोई भी किरण नहीं बची है।।


ये जिंदगी है भाई ,,
क्या से क्या दिखाती है।।।

मुझे ख़ुशी है कि कोई मेरे से ज्यादा तरिक्की कर गया है ,,
बस ये सोच के हैरान हु और अंतर्मन से परेशान हु ,,
कि मेरे अन्दर क्या कमी रह गयी है।।।


ये जिंदगी है भाई ,,
क्या से क्या दिखाती है।।।

आज आंसूं है इन आँखों में ,,
फिर भी अब कोई बोझ नहीं है ,,
पछतावा है तभी आंसूं भी है,,
मगर अब फिर से जीने की आस लगी है,,
फिर से जोश है कुछ पाने का,,
फिर से कुछ कर दिखाने  का,,
शब्र का फल मीठा होता है,,
कहा करता था कई लोगों से बार-बार,,
आज अर्थ समझ में आया है,,
फिर से पाऊंगा अपनी मंजिलों को,,
फिर से एक बार अपने हाथों की लकीरों को,,
दोबारा लिखने का मौका आया है।।।


ये जिंदगी है भाई ,,
क्या से क्या दिखाती है।।।










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