Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Thursday, April 26, 2012

चाहत कुछ बेगानी सी


वो समझते  हैं,, वो पहचानते हैं,,
शायद वो चाहते है मुझको,,

ये किस्मत है या,,
कोई तोहफा किसी का..

कुछ भी हो,,वो साथ रहे  हमेशा ,,
बस खुदा से मांगते ये हम हैं...

मिलते  नहीं है हम अपनी  रूह से कभी,,
उनसे  मिलके  महसूस हुआ है,,की अब चाहत नहीं कभी...

तारीफ नहीं करते हैं हम कभी उनकी,,
मगर ये दिल पता नहीं क्यों उसनके हसने पे ही खुश होता हैं...

रात अब सुनी-सुनी रहती हैं,,
बाहें अब अकेली ही सोती हैं...

तकियें पर अब किसी और के सर रखने का मन करता है,,
बिस्तर पर अब किसी को जकढ़ के सोने का मन करता हैं...

अब ये प्यार तुझको दिखाने का मन करता हैं,,
अब तेरे बगैर जीने का बिलकुल मन नहीं करता है...

आ जाओ एक बार तुम ,अब जाने नहीं दूंगा,,
इस बार खुद को अपने से हारने नहीं दूंगा...

आँखों से आंसूं का एक मोती गिरता है,,
उस देख के न जाने क्यों ये दिल हसता है...

प्यार किया था शायद इसकी सजा है,,
अब ये दिल हमेशा यही कहता है...

चाहत कुछ बेगानी सी,,कुछ अनजानी सी,,
प्यार सी,,मगर  हैं किसी और के सपने को सजाने की...
किसी और के सपने को सजाने की.....,...................

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