आज फिर एक नयी सी कहानी जो कहीं न कहीं से आपको अपने दिल से निकलती हुई लगेगी, दरअसल अमर को शादियों में जाना बहुत अच लगता था, अरे अच्छा लगे भी क्यों न, इतनी खुबसूरत लड़कियां जो शादी में आती है, और खाने का तो पुचो मत, हर व्यंजन शादियों में मिलता जो है, और लड़का अब तैयार भी तो हो गया है शादी के लिए, दरअसल अमर इंजीनियरिंग की पड़ी कर रहा है, नौकरी लग चुकी है, बस सपनो में कभी-कभी अपनी शादी की कल्पना कर लिया करता हैक, की कैसा जैमाल होगा, कैसे दुल्हन आएगी, वो घोड़े पर बैठेगा या गाड़ी लाएगा, या फिर और भी बहुत कुछ, कल्पना के सागर में डूबने का तो हर आदमी को हक है, तो फिर अमर क्यों पीछे हो जाये...
मगर ये शादी उसके लिए बड़ी फीकी सी शादी है, न उसका कोई दोस्त है इस शादी में, न कोई जान पहचान वाला, बस मम्मी को पता नहीं क्या पड़ा, जो उसको ले आई, अमर को क्या पता था की इतनी बोरिंग सी शादी होगी, बस दीजे के गाने को सुन रहा था, और और चुप चाप बैठा अपनी कोल्ड ड्रिंक पिए जा रहा था, एक दम से उसे लगा की कोई उसे देख रहा है, जब उसने पलट के देखा तो कोई लड़की उसे देख रही थी, मगर अमर ने ध्यान नहीं दिया, और चुप चाप दीजे के गाने सुनने लगा, उसने सोचा की उसका ये भ्रम है, वो उस लड़की को नहीं जनता है, तो कैसे वो लड़की उसे देखेगी, वैसे भी लड़कियों को देखने का कम तो उसका है, उसे कैसे कोई देख सकता है और अपनी नज़र उसने वहां से हटा ली....
फिर कुछ देर बाद, मैंने उसको देखा , वो मुझे ही देख रही थी, मैंने सोचा लगता है मेरे कपड़ो में कुछ होगा, या मेरे चेहरे में कुछ लगा होगा जिसकी वजह से वो मुझे देख रही है, इसीलिए मैं तुरंत वाशरूम गया और देखा ऊपर से निचे तक, की कहीं कुछ मेरे चेहरे पर कुछ लगा तो नहीं है, पता नहीं ऐसा लड़कों में क्यों होता है की अगर कोई लड़का कहे भी की तेरे चेहरे पर कुछ लगा है तो हम लड़के देखने नहीं जाते मगर, जैसे ही कोई लड़की हलके से मुस्कुरा भी दे बस पुचो नहीं वहीँ फ्लैट हो जाते है, मैंने अपने आपको ऊपर से निचे तक देखा, कपडे शानदार, शक्ल भी अची खासी थी और हन्द्सोमे भी कम नहीं थे, और फिर से निकले बिलकुल दुल्हे की तरह तैयार, की अब पता है कोई न कोई बात है...
मैं फिर गया खाने की ओरे, अक्सर खाना जल्दी ही खा लेना चाहिए शादी बारात में, पता नहीं बाद में मिले या नहीं, आयर बस चला गया खाना खाने, देखा तो बस, हाई राम क्या हो गया है मेरे साथ, फिर वाही नज़र मुझे देख रही है, मैंने खाना भी तो ज्यादा नहीं लिया है, कम ही तो है, बस पनीर के दो पीएस और एक रोटी फिर क्यों वो नज़र मेरा पिचा नहीं छोडती है, फिर मैंने हिमात बना ली की अब तो पुच के ही रहूँगा की आखिर माजरा क्या है, वो मुझे ऐसे क्यों देख रही है, मगर अगर उसने किसी से कह दिया की ये मुझे छेद रहा है तब तो मेरा क्या होगा ये शायद मुझको भी नहीं पता है, वैसे भी इन सब मामलो में लड़के ही पिटते हैं लड़कियों को कौन कहता है,,
मगर हिमत बना ली, और पूछने को तैयार, गया उसके पास चुपके से, और पूछा, Excuse me, क्या आप मुझे जानती है, उसने मुझे बड़े प्यार से देखा और कहा लगता है आपकी यादाश बहुत कमजोर हो चुकी है, आप शायद नैनीताल ट्रिप भूल चुके है, जब आपका कॉलेज वहां आया था dance competition में और आपने अच्छा डांस किया था, और मैं भी थी वहां मेरा नाम अप्सरा है,
जैसे ही नाम सुना , मर ही गया, कैसे मैं उसको भूल गया , जिस लड़की के पीछे मैं पागल हो गया था नैनीताल में, और दोस्तों से कह चूका था की यही मेरी वोटी बनेगे, यही मेरे होने वाले बचों की माँ बनेगी, और मैं उसको भूल गया , भूल तो सकता ही था की इतनी खुबसूरत लड़की मुझे कैसे पसंद करेगी, अपने नाम पे ही तो गयी थी, और वैसे भी शादी की रात में लड़की ऊपर से साडी पेहें ले तो कैसे उसको पहचान सकते है,
i am so sorry, और अपने को बचाते हुए, यार इतनी खुबसूरत लग रही हो टीम साडी में, की क्या बताये, ये सबसे अच तरीका होता है लड़कियों का न पहचान के फिर बात करना, और हुआ भी वाही वो मान गयी, और हमने शुरू कर दी वाही बातें, मैंने उस से एक शिकायत की, की तुमने मुझे कोई कांताक्ट नंबर नहीं दिया, और न ही फसबूक पे अदद किया, उसने कहा की तुमने भी मुझे रेकुएस्ट भेजी ही नहीं, और शुरू हो गयी हमारी लड़ाई, इसका नतीजा निकला की मैंने किसी और लड़की को रेकुएस्ट भेज दी थी, ,,
मगर आज कैसे मौका छोड़ सकता था, और पुच ही लिया की यहाँ कैसे, उसने कहा की मैंने यहाँ जॉब करती हुईं, और यहाँ अपनी दोस्त की शादी में आई हु, और मैंने उस से पुच ही लिया की कल फ्री हो , और उसने भी हाँ कर दिया, कुछ मुलाकातों के बाद मुझे लगा की मुझे उसको propose कर देना चाहिए, और मैंने उसको प्रोपोसे कर दिय, और उसने मुझे मन कर दिया, मैंने भी उस से कह दिया मैं तुमको इतनी आसानी से जाने नहीं दूंगा, आखिर कर वो मेरे होने वाले बचों की माँ थी कैसे जाने देता उसको मैं,
और मुलाकातों की रातीं कटती गयी, हम दोनों घूमते थे,मेरी तरफ से मुहबत के जज्बात से, और उसकी तरफ से दोस्त के जज्बात से, ,,और मैं हमेशा उस से यही कहता था की मैं तुमको जाने नहीं दूंगा,
कई साल बीत गए, आज मैं ८० साल का हूँ , मेरे दो बचे हैं , और मेरे ३ पोते है, और आज तक मैंने उसको जाने नहीं दिया है, आखिर कार वो मेरे बच्चे की माँ थी, और मेरी वोटी भी तो, और मैंने आज तक उसको जाने नहीं दिया,,
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