Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Saturday, January 28, 2012

तू बढ चले, तू बढ चले,, मंजिल में तू अकेला है....

तू राह में अकेला है,,
तेरा राह में कोई न साथ हो,,
तेरा हमराह ही, तू अकेला हो,,
मंजिल तेरी अकेली है,,
तुझको अकेला रहना है,,
तू बढ चले, तू बढ चले,,
मंजिल में तू अकेला है,,
मंजिल में तू अकेला है...

खोते-खोते, रोते-रोते,
ख़ामोशी का साया है,,
काटें तुझको ही रोकेंगे,,
हवा तुझे बहलाएगी,,
राहें तुझको लौटाएँगी,,
समां तुझे बहकायेगा,,
तू लौटना मगर नहीं,,,
तू डगमगा कहीं नहीं,,
तू बढ चले, तू बढ चले,,
मंजिल में तू अकेला है,,
मंजिल में तू अकेला है...

ये रात तेरे लिए नहीं,,
सिर्फ दिन ही तेरा है,,
थकते-थकते,,सोते-सोते,,
तुझको अब सोना नहीं,,
राह में तुझको कहीं रुकना नहीं,,
मंजिल को तेरा इन्तेजार है,,

तू बढ चले, तू बढ चले,,
मंजिल में तू अकेला है,,
मंजिल में तू अकेला है...

तू युवा है,,वायु के जैसा है,,
कदम बड़ा चले, कदम बड़ा चले,,
आसपास को उड़ा चले,,
तेरा साया भी तेरा दावेदार न हो,,
दुनिया के पहलुओं को,,
इस समाज के रूखे-सूखे नियमो को,,
युवा के विपरीत कायदों को,,
अपने क़दमों से दबा चले,,

तू बढ चले, तू बढ चले,,
मंजिल में तू अकेला है,,
मंजिल में तू अकेला है...

पीछे तू देखना नहीं,,
आगे तुझको बढनाहै जो,,
राहें विस्मयी होकर भी,,
गले से तुझको लगाएंगी,,
लक्ष्य के करीब तू,,
पहुचने वाला सिर्फ तू ही है,,
जीत के स्वर को तू,,
ध्यान से जरा सा सुन,,
शंख के शंखनाद को सुन,,
सब तेरे लिए ही है,,

तू बढ चले, तू बढ चले,,
मंजिल में तू अकेला है,,
मंजिल में तू अकेला है......




Sunday, January 22, 2012

shadi ki raat...

आज फिर एक नयी सी कहानी जो कहीं न कहीं से आपको अपने दिल से निकलती हुई लगेगी, दरअसल अमर को शादियों में जाना बहुत अच लगता था, अरे अच्छा लगे भी क्यों न, इतनी खुबसूरत लड़कियां जो शादी में आती है, और खाने का तो पुचो मत, हर व्यंजन शादियों में मिलता जो है, और लड़का अब तैयार भी तो हो गया है शादी के लिए, दरअसल अमर इंजीनियरिंग की पड़ी कर रहा है, नौकरी लग चुकी है, बस सपनो में कभी-कभी अपनी शादी की कल्पना कर लिया करता हैक, की कैसा जैमाल होगा, कैसे दुल्हन आएगी, वो घोड़े पर बैठेगा या गाड़ी लाएगा, या फिर और भी बहुत कुछ, कल्पना के सागर में डूबने का तो हर आदमी को हक है, तो फिर अमर क्यों पीछे हो जाये...
             मगर ये शादी उसके लिए बड़ी फीकी सी शादी है, न उसका कोई दोस्त है इस शादी में, न कोई जान पहचान वाला, बस मम्मी को पता नहीं क्या पड़ा, जो उसको ले आई, अमर को क्या पता था की इतनी बोरिंग सी शादी होगी, बस दीजे के गाने को सुन रहा था, और और चुप चाप बैठा अपनी कोल्ड ड्रिंक पिए जा रहा था, एक दम से उसे लगा की कोई उसे देख रहा है, जब उसने पलट के देखा तो कोई लड़की उसे देख रही थी, मगर अमर ने ध्यान नहीं दिया, और चुप चाप दीजे के गाने सुनने लगा, उसने सोचा की उसका ये भ्रम है, वो उस लड़की को नहीं जनता है, तो कैसे वो लड़की उसे देखेगी, वैसे भी लड़कियों को देखने का कम तो उसका है, उसे कैसे कोई देख सकता है और अपनी नज़र उसने वहां से हटा ली....
                                    फिर कुछ  देर बाद, मैंने उसको देखा , वो मुझे ही देख रही थी, मैंने सोचा लगता है मेरे कपड़ो में कुछ होगा, या मेरे चेहरे में कुछ लगा होगा जिसकी वजह से वो मुझे देख रही है, इसीलिए मैं तुरंत वाशरूम गया और देखा ऊपर से निचे तक, की कहीं कुछ मेरे चेहरे पर कुछ लगा तो नहीं है, पता नहीं ऐसा लड़कों में क्यों होता है की अगर कोई लड़का कहे भी की तेरे चेहरे पर कुछ लगा है तो हम लड़के देखने नहीं जाते मगर, जैसे ही कोई लड़की हलके से मुस्कुरा भी दे बस पुचो नहीं वहीँ फ्लैट हो जाते है, मैंने अपने आपको ऊपर से निचे तक देखा, कपडे शानदार, शक्ल भी अची खासी थी और हन्द्सोमे भी कम नहीं थे, और फिर से निकले बिलकुल दुल्हे की तरह तैयार, की अब पता है कोई न कोई बात है...
                           मैं फिर गया खाने की ओरे, अक्सर खाना जल्दी ही खा लेना चाहिए शादी बारात में, पता नहीं बाद में मिले या नहीं, आयर बस चला गया खाना खाने, देखा तो बस, हाई राम क्या हो गया है मेरे साथ, फिर वाही नज़र मुझे देख रही है, मैंने खाना भी तो ज्यादा नहीं लिया है, कम ही तो है, बस पनीर के दो पीएस और एक रोटी फिर क्यों वो नज़र मेरा पिचा नहीं छोडती है, फिर मैंने हिमात बना ली की अब तो पुच के ही रहूँगा की आखिर माजरा क्या है, वो मुझे ऐसे क्यों देख रही है, मगर अगर उसने किसी से कह दिया की ये मुझे छेद रहा है तब तो मेरा क्या होगा ये शायद मुझको भी नहीं पता है, वैसे भी इन सब मामलो में लड़के ही पिटते हैं लड़कियों को कौन कहता है,,
                                    मगर हिमत बना ली, और पूछने को तैयार, गया उसके पास चुपके से, और पूछा, Excuse me, क्या आप मुझे जानती है,  उसने मुझे बड़े प्यार से देखा और कहा लगता है आपकी यादाश बहुत कमजोर हो चुकी है, आप शायद नैनीताल ट्रिप भूल चुके है, जब आपका कॉलेज वहां आया था dance competition में और आपने अच्छा डांस किया था, और मैं भी थी वहां मेरा नाम अप्सरा है, 
                         जैसे ही नाम सुना , मर ही गया, कैसे मैं उसको भूल गया , जिस लड़की के पीछे मैं पागल हो गया था नैनीताल में, और दोस्तों से कह चूका था की यही मेरी वोटी बनेगे, यही मेरे होने वाले बचों की माँ बनेगी, और मैं उसको भूल गया , भूल तो सकता ही था की इतनी खुबसूरत लड़की मुझे कैसे पसंद करेगी, अपने नाम पे ही तो गयी थी, और वैसे भी शादी की रात में लड़की ऊपर से साडी पेहें ले तो कैसे उसको पहचान सकते है, 
                                               i am so sorry, और अपने को बचाते हुए, यार इतनी खुबसूरत लग रही हो टीम साडी में, की क्या बताये, ये सबसे अच तरीका होता है लड़कियों का न पहचान के फिर बात करना, और हुआ भी वाही वो मान गयी, और हमने शुरू कर दी वाही बातें, मैंने उस से एक शिकायत की, की तुमने मुझे कोई कांताक्ट नंबर नहीं दिया, और न ही फसबूक पे अदद किया, उसने कहा की तुमने भी मुझे रेकुएस्ट भेजी ही नहीं, और शुरू हो गयी हमारी लड़ाई, इसका नतीजा निकला की मैंने किसी और लड़की को रेकुएस्ट भेज दी थी, ,,
                मगर आज कैसे मौका छोड़ सकता था, और पुच ही लिया  की यहाँ कैसे, उसने कहा की मैंने यहाँ जॉब करती हुईं, और यहाँ अपनी दोस्त की शादी में आई हु, और मैंने उस से पुच ही लिया की कल फ्री हो , और उसने भी हाँ कर दिया, कुछ मुलाकातों के बाद मुझे लगा की मुझे उसको propose कर देना चाहिए, और मैंने उसको प्रोपोसे कर दिय, और उसने मुझे मन कर दिया, मैंने भी उस से कह दिया मैं तुमको इतनी आसानी से जाने नहीं दूंगा, आखिर कर वो मेरे होने वाले बचों की माँ थी कैसे जाने देता उसको मैं, 
                                            और मुलाकातों की रातीं कटती गयी, हम दोनों घूमते थे,मेरी तरफ से मुहबत के जज्बात से, और उसकी तरफ से दोस्त के जज्बात से, ,,और मैं हमेशा उस से यही कहता था की मैं तुमको जाने नहीं दूंगा, 
                    कई साल बीत गए, आज मैं ८० साल का हूँ , मेरे दो बचे हैं , और मेरे ३ पोते है, और आज तक मैंने उसको जाने नहीं दिया है, आखिर कार वो मेरे बच्चे की माँ थी, और मेरी वोटी भी तो, और मैंने आज तक उसको जाने नहीं दिया,, 


Friday, January 13, 2012

ऐ अजनबी,,

क्यों किसी के ख्यालों जैसी नहीं बनती है ये जिंदगी,,
क्यों सोचता है कोई की वो कर नहीं पाया वो सब,,
जो की दूसरा कर चुका पहले से वही,,,
जिंदगी की लहरों में ,, समुद्र की गहराई में,,
हम कहाँ है,,क्यों है,,कैसे है,,
कभी तुम समझ पाए हो तुम अजनबी,,
इन उलझनों के जंजाल से क्यों नहीं निकल पा रहा हूँ मैं,,
आज बता दे मुझको ऐ अजनबी,,
क्या हो रहा है मेरे साथ ,,आज बता दे मुझको ऐ अजनबी,,,
आज बता दे मुझको ऐ अजनबी....


जिंदगी की नाव में खो रहा हुईं मैं,इस दिशाहीन समुद्र में,,
क्यों नहीं है लक्ष्य मेरा, ये क्यों सोचता हुईं,,बता दे मुझे ऐ अजनबी,,,
क्यों रोता हूँ,,,क्यों तड़पता हूँ,,क्यों बौखलाता हुईं,,बता दे मुझको ऐ अजनबी,,
क्यों एक कठपुतली के समान जी रहा हूँ मैं,,बता दे मुझको ऐ अजनबी,,
क्यों एक दिशाहीन पतंग की तरह उड़ता जा रहा हूँ मैं,,
क्यों साहिल बिना किनारे से मिल के जी रहा हूँ मैं,,
क्यों एक बूँद बिना सूखे को बुझाने के लिए बरस रहा हूँ मैं,,
आज बता दे मुझो ऐ अजनबी,,आज बता दे मुझे ऐ अजनबी,,,


सूरज की तरह लालिमा नहीं मैं,,जो भगा दूँ मैं इस अँधेरे को अपनी जिंदगी से,,
क्या कर रहा हुईं,,क्यों कर रहा हूँ,,इस उलझन से दूर कर दे मुझको ऐ अजनबी,,
जिसको था मुझपर भरोसा ..अज उसके अरमानो को कुचल के चल रहा हूँ मैं ऐ अजनबी,,
किसी के आँखों के सपनो को आंसुओं से बहा रहा हूँ मैं ऐ अजनबी,,
आज बता दे मुझको ऐ अजनबी,,की तू क्या चाहता है ऐ अजनबी,,,
तू क्या चाहता है ,,ऐ अजनबी,,,,,


किसको क्या बताऊँ ,,किसको अपनी उलझन समझाऊं ,,
किसको कहूँ की क्या दर्द है मेरा,,बता दे आज मुझको ऐ अजनबी,,
जो समझते हैं इस उलझन के साये को,,दर्द बड़े प्यार से,,
फिर वाही क्यों हस्ते है,,उन उलझनों और दर्द के साए को,,,
पूरी दुनिया के सामने मजाक बना बना के,,
आज बता दे मुझको ऐ अजनबी,,
की जिउं या मरुँ,इन परिस्थितियों के भ्रमजाल में,,
या फिर बन जाऊं दुनिया के लिए एक और अजनबी,,,
बता दे मुझको आज,,ऐ अजनबी,,
की बन जाऊं दुनिया के लिए एक और अजनबी,,,
बिलकुल तेरा ही प्रतिरूप,,,तेरे जैसा एक और अजनबी.....

Sunday, January 1, 2012

देखो आज मैंने एक नयी सुबह देखी  है,,
नए सपनो से सजाती एक नयी दुनिया देखि है.,,
बादलों के पीछे हुआ सूरज को ठंडक महसूस करते देखा है,,,
आज कहीं-कहीं धीमी-धीमी बारिश होती देखी है,,
आज कहीं किसी की आँखों में नए नए आरजुएं देखे है,,
आज किसी की आँखों में नए सपने भी देखे हैं,,
आज किसी को किसी के आंसूं भी पोछते देखे हैं,,
आज हसने का मन फिर किया है किसी की मस्ती देख के,,
आज किसी को अपना मजाक उड़ाते फिर से देखा है,,
आज मैंने नए साल की सुबह को फिर से एक बार जीते हुए देखा है,,,




आज २०११ की वो समझोते को फिर से सोचता हूँ,,,
कितना माना  और कितना नहीं माना ये भी आज देखा है,,
किसी के सपने पुरे होते और किसी के सपने टूटते भी देखा है,,
आज किसी दोस्त के आंसूं  को किसी और के हाथों से पोछते भी देखा है,,
आज  किसी को किसी से प्यार करते भी देखा है,,
आज किसी का गम किसी को दिल में छुपाते देखा है,,


आज मैंने नए साल की सुबह को फिर से एक बार जीते हुए देखा है,,,


काश ये साल भी हो हमारे कई सपनो को हकीक़त बनाते देखे,,
किसी के अरमानो को पूरा करते देखे,,
किसी का प्यार सच होते हुए देखे,,
ऐ हवाओं -ऐ फिजाओं,,दे दो आज ताकत मुझे,,
की आज मैं सपनो को सच कर दूं,,
की कुछ लोगों का कहना  है की आखिरी साल है,,
तो बस इसी साल को आखिरी बार जी ले,.
खुशियाँ बात ले,,आज गले लगा ले,,
जिस से प्यार करते है, उसको आज बाहों में ले ले,,


आज फिर से २०१२ नए सपनो और नए मुकामो के साथ जी ले,,
एक बार नए तरीको से नए अवामो से इसको नयी तरह से जी ले...


आज मैंने नए साल की सुबह को फिर से एक बार जीते हुए देखा है,,,
आज मैंने नए साल की सुबह को फिर से एक बार जीते हुए देखा है,,,....

(Dedicated to all my friends who make my life as beautiful as can.....)