Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Friday, January 4, 2013

अब तो मुझे मेरे हिसाब से जीने दो,,,,

अब तो मुझे रोने दो, अब तो मुझे हसने दो,,
अब तो मुझे मेरे हिसाब से जीने दो,,,,

कौन होता है वो शक्श,,जिसकी जिंदगी में मेरी एहमियत न थी,,
हमने तो अपनी जिंदगी को एहमियत दी थी,,
क्या पता चला की वो जिंदगी ही अपनी न थी,,

राहें अकेली है,,रहने दो इन्हें,,
अब मुझे कोई हमसफ़र नहीं चाहिए,,
तनहा रहना है,,तनहा चलना है,,
अब इसमें ही मुझे तनहा जीने दो,,
अब तो मुझे मेरे हिसाब से जीने दो,,,,

फूलों में तबसुम की लहर फिर से छाई है,,
चाँद की चांदनी फिर से एक बार आई है,,
अब तो मुझे उनको तनहा ही महसूस करने दो,,
अब तो मुझे मेरे हिसाब से जीने दो,,,,

थकी हुई पलकें इन्तेजार करती हुई और थक गयी है,,
अब तो इनको अपनी एक झलक दिखाने का ,,
एक जूठा  वादा कर के इनको एक बार और जीने दो,,
अब तो मुझे मेरे हिसाब से जीने दो,,,,

अब तो वापस उन गलियों में दोबारा जाने का मन नहीं करता है,,
लोग कहते है,,तेरा साया अब तेरे  साथ दिखाई नहीं देता है,,
उनसे कोई पूछे,,क्या उनको मैं दिखाई देता हूँ ,,
अब तो मुझे मेरे हिसाब से जीने दो,,,,

अब छुप  के दो आंसूं कहीं बहा लिया करता हूँ,,
दुनिया के सामने सबसे ज्यादा खुश रहता हूँ,,
दिल मेरा मुझे अक्सर बार-बार पूछता है,,
की ये तू बार-बार क्यों करता है,,
मेरा जवाब बस यही रहता है,,,
कि अब तो मुझे मेरे हिसाब से जीने दो,,,,
अब तो मुझे मेरे हिसाब से जीने दो।।।।।



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