Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Thursday, April 18, 2013

रंगीनियत.....

जरुरी ये नहीं की आँसूं  सिर्फ मुझको आये,,
दर्द कहीं न कहीं तुझको भी होगा ,, 
लहरें जितनी भी तेज हो या धीमी,,,
किनारे के दिल से पूछो ,,इसको महसूस जरुर होगा। 

राहों में कांटे जिसकी भी हो,,
दर्द दोनों को जरुर होगा,,
बारिश कहीं भी बरसती हो,,,
भीगना किसी न किसी को होगा.. . 

अकेले तुम भी वहां रहती हो,,
अकेले हम भी यहाँ रहते है,,
इस जिंदगी के ख़तम होते होते-होते,,
मिलना एक बार जरुर होगा .....

तब तुम कहना,,क्या खुशियाँ थी तुम्हारी थी,,,
तब हम कहेंगे,,,क्या गम थे हमारे,,,
लेकिन दोनों को बिछड़ने का,,
गम तो जरुर होगा…. 

रोशनी से मत पूछना,,
की कहाँ-कहाँ अँधेरे को दूर भगाती हो,,
वो भी आज शर्मिंदा है,,,
कि मेरी जिंदगी में रोशनी न भर पाने के गम उसको जरुर होगा ...

जिंदगी भी क्या कोई समय के पैदलो का एक कोई  शतरंज है,,
उसको भी आज मुझसे हारना होगा,,,
ऐसी मुहबत करूँगा तुझसे दूर रहके मैं,,
की तू समझे या न समझे इसको ,,,
इस दुनिया को जरुर समझना होगा।।

ख्वाइशे अब किसी से कहता नहीं मैं,,
जनता हूँ की कोई पूरा नहीं कर सकता,,
तनहा अकेले रह के जीता हूँ मैं,,
की रंगीनियत अब कोई भर नहीं सकता,,

मैं आज अपनी तन्हाई में जीता जा रहा हुँ ,,
पूछता है मौर्या खुद अपने आप से,,
कि  इस वीराने रास्ते का,,
अंत कभी न कभी तो होगा???



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