Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Tuesday, March 19, 2013

एहसास ।।।।।।

अब एक अलग सा एहसास है,,
तुझको न पाने के बाद भी,,
तुझको अपने पास रखना का भी अंदाज़ है।

मुझे तुझसे इस दुनिया में अलग कौन कर सकता है,,
कभी साँसों को क्या धडकनों से अलग किया जा सकता है,,
तेरी हर कसक मुझे सुनाई  देती है,,
तुझे देखने के लिया अब तो आँखें बंद भी नहीं करनी पड़ती है,,
बस अपना हाथों को एक बार देखता हूँ,,
बस तेरा साथ हर समय महसूस करता हूँ ....

किसी ने मुझसे कहा की बीतें यादों को भूल जाओ,,
किसी के चेहरे के अपनी आँखों के आंसुओं से बहा के भूल जाओ,,
मैं कैसे भुला दूँ वो साड़ी यादें वो मीठीं बातें,,
अब उन्ही के सहारे तो हस लेता हूँ दो पल के जिंदगी की बातें  ...

मुझको तो बस अब बहुत अच्छा  लगता है,,
तेरे साथ हर समय रहना,,
तुझसे मिल के हस के हर समय को झेलना,,
कोई ख्वाइश अब बाकि नहीं रह जाती है,,
मरने के बाद क्यों हर ख्वाइश पूरी हो जाती है,,,,
मरने के बाद क्यों हर ख्वाइश पूरी हो जाती है।।।।।।।।


Tuesday, March 5, 2013

महफ़िल.....

लाखों तालियों की गढ़गढ़ाट में,,,
जो सिर्फ मेरे लिए उठती है,,
उन लाखों तालियों के बीच में,,
मेरी आंखें सिर्फ तेरी तालियों को धुन्दती है…

तूने कहा था की मैं तेरी न हो पाऊं ,,
मगर तेरी हर महफ़िल का हिस्सा जरुर बन जाउंगी,,
आज हर महफ़िल में तनहा होकर लाखों की भीड़ में,,
सिर्फ तुझको मेरी कविता धुन्दती है….

मेरा महफ़िल में जाने का मन कभी नहीं करता है,,
बस तुझको एक बार देखने के लालच में हर महफ़िल को इस्तेकबाल करता हुईं,,
हर महफ़िल में तुझने न पाने के बाद,,
ये आँखें फिर से नाम होती है,,

तुझको न देख पाने के बाद भी,,,
आँखों के नाम होने के बाद भी,,
ये अगली महफ़िल के लिए तैयार होती है,,
की उसने भरोसा किया था तेरे आने का हर महफ़िल में शायद,,

इस बार नहीं तो अगली बार तुझको  देखने का अपना भ्रम,,
हर महफ़िल में तुझको देखने का भ्रम पूरी कर लेती है…।