Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Thursday, February 23, 2012

ये बहने...

ये बहने इतना दूर क्यों जाती है,,,
और जब जाती है,,तो बहुत याद आती है,,

बचपन से इनके खेल में खेलने के लिए,,
माँ से जिद्द करना पड़ता था,,,
और कभी-कभी इन सब से झगरा भी करना पड़ता था,,
गुट्टे के एक बार आउट होने से बहनों के वजह से,,
दोबारा चानिस भी मिल जाया करता था,,

बहार वालों से बचने के लिए,,
सिर्फ यही आया करती थी,,
कोई शैतानी में माँ-पिताजी से भी बचने,,
ये हमारे सामने भी आया करती थी,,

स्कूल की ड्राईंग को ,,
सिर्फ इनसे बनवाना पड़ता था,,
ज्यादा काम मिलने पद अपना सारा काम,,
इनके भरोसे छोड़ जाना पड़ता था,,

माँ के किसी और के घर जाने पर,,
माँ की छवि बन जाया करती थी,
ये बहने हमारे लिए क्या-क्या,,
कर जाया करती थी...

बचपन में लड़ाई में चाकू-कुर्सी निकल लिया करते थे,,
और आज वही चाकू से साबजी काट के हमको खाना खिलाया करती है,,
आज माँ से इतना दूर होते हुए भी,,माँ का साया भी दिया करती है,,
ये बहने क्यों इस दुनिया में एक अनोखा अपनापन देती है,,

दोस्त भी, माँ भी, पिता भी,,और क्या-क्या नहीं बन जाया करती है,,
एक बार, प्यार से, इज्जत से देखो,
तो शायद इश्वर की एक परछाई भी बन जाया करती है,,

आँख खुली तो, कुछ न पाया,,
ये बहने क्यों छोड़ जाया करती है,,
और जब जाती है,,तो बहुत यात आती है,,

बचपन से एक दोहराए पे खड़ा हो जाया करती है,,
अपने ससुराल जाने की रीत को,
बड़े प्यार से बचपन में ही मान जाया करती है,,

हम इनको पराया धन कह के ,,
कभी-कभी चिडाया करते है,,
मगर ये तो शयद,,सारा अपना धन,,
हम पर लुटा के,,न कोई मोलभाव के,,
पराया बन जाया करती है,,

ये बहने इतना दूर क्यों चला जाया करती है,,
और जब जाती है तो बहुत याद आती है...

2 comments:

  1. good poem...

    -> Aditya Khanduja

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  2. keeep on !! u would really touch d souls soon
    by CHEST N0:-01

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