Abhishek Maurya

Abhishek Maurya

Tuesday, October 13, 2015

आखिर क्यों ??

लोग  भूल गए अपनी बातों को,,
अपने शौकों  को,, अपनी  रातों को,,
पहले रहते थे अपनी गिरफ्त में,,
अब  दूसरों की  गिरफ्त में ,,


आखिर क्यों  ??

जितने पैसे सोचे थे,,
शायद  उतने कब के कमा लिए,,
फिर भी न भूख शांत हुई,,
अब बैठें है कमजोर दूसरे पे आश्रित ,,

आखिर क्यों  ??

न लफ्ज है कुछ  कहने को,,
न अब भावना रही,,किसी को बताने को,,
जिए जा रहे है ,,निस्तेज लक्ष्य रहित,,

आखिर क्यों  ??

सूरज को जो मुठी में बंधने का दम रखते थे,,
आज उसी को देखने का समय नहीं,,
वादें तो सात किये थे शादी में,,
निभाने का कोई अवसर नहीं,,

आखिर क्यों  ??