उस दर्द के आलम को क्या कहियेगा,
जिसमे आंसुओं को अश्को तक आने में,
सौ बार सोचना पड़ता है.......
उस प्यार को क्या कहियेगा,
जिसको साबित करने के लिए,
हमे बार बार मरना पड़ता है.....
उस मंजिल को क्या कहियेगा,
जिसको पाने के लिए हमे,
हमेशा बार बार गलत रास्तों में चलना पड़ता है.....
उस बेवफा को क्या कहियेगा,
जिसको बेवफा कहने से पहले,
हमे बार बार रोना पड़ता है......
उस दिल के टुकड़े को क्या कहियेगा,
जो दिल का अहेम बन ने से पहले,
मुझको उसे जख्म देना पड़ता है.....
उस कातिल को क्या कहियेगा,
जिसको कतल करने से पहले,
खुद को ख़तम करना पड़ता है.....
उस मुहब्बत को क्या कहियेगा,
जिसको दुनिया को दिखने से पहले,
अपने प्यार कि इजाजत लेना पड़ता है....
उस दुश्मनी को क्या कहियेगा,
जिसको दिखाने के लिए,
हमे किसी और को दर्द देना पड़ता है.....
उस आईने को क्या कहियेगा,
जिसमे अपने अक्स को देखने से पहले,
दुसरे अक्स को देखना पड़ता है.....
इस दुनिया को क्या कहियेगा,
जिसको दुसरे कि ख़ुशी को बर्बाद करने के लिए,
अपनी ख़ुशी बर्बाद करनी पड़ती है,
अपनी ख़ुशी बर्बाद करनी पड़ती है.......
(to be continued........)
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