Saturday, September 25, 2010

Aks.....

तेरी आँखें देखकर ये क्यों लगता है,
कि वो सिर्फ बनी हैं मेरे लिए,
ये तनहा दिल मेरा कहता है,
अक्स देखता हूँ मैं अपना,
तेरी इन निगाहों में,
इसलिए कह सकता हूँ,
कि ये सिर्फ मेरे लिए तनहा रहता है.......

रोती है मेरी आँखें जब,
अक्स मेरा भी रोता है,
आँखों में तेरी भी,
ये आंसूं भी कभी-कभी बहता है....

जान के भी न रोता हुईं मैं,
क्योंकि डर ये मुझको लगता है,
कि मालूम हैं ये इनको भी,
कि दर्द तुझको भी होता है.....


प्यार ये तुझको करती है,
ये जानता दिल मेरा भी है,
तब भी तड़पता है ये दिल मेरा,
कि  बस सुनने को तरसता है......
कि बस सुनने को तरसता है!!!!!!

(to be continued....in mera aks......)

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