Saturday, May 7, 2016

माँ !!

वो लाख दुआएं मंदिरों में जाकर करता है,,
लेकिन घर के देवताओं के सेवा करना भूल जाता है !!

शुक्र है दुनिया ने हर रिश्तें के लिए एक दिन जरूर बना दिया,,
लोग साफ़ कर लेते है पुराने रिश्तों पे पड़ी धूल को इसी दिन के बहाने से!!

गूंगा हो भले ही क्यों लेकिन, उसकी जुबां से भी माँ का स्वर ही  सुनाई देता है,,
दर्द में हो या ख़ुशी के मदहोश नशे में, तब भी माँ के एहसास याद आता है !!

देखो लम्बाई में,,  मैं माँ से कितना लम्बा हो गया,,
वो आज भी जब देखती है,, तो मैं अपने को बहुत छोटा मानता हूँ !!

मैं तो दुनिया से कब का हार मान लेता,,
लेकिन मेरी माँ थी,, जिसने बचपन में ही सूरज को मुठी में बंद करना सिखाया था,,

लोग चाँद सितारों की सैर के लिए पता नहीं क्या क्या करते है,,
मेरी माँ तो हर रात मुझे उनमे घुमाया करती थी!!

मैंने सोचा कि माँ के बारे में कुछ तारीफ मैं अपनी डायरी में लिख दूँ,,
जब लिखने बैठा तो सब गीता कुरान में तब्दील हो गया!!

माँ का मोल अब इस दुनिया में कौन लगाएगा,,
शायद ब्रह्मा विष्णु महेश भी अपने को नतमस्तक पाएगा!!


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