Sunday, January 31, 2016

ऐ ख़ुदा !!

... मैं कितना खुदगर्ज़  कैसे हुँ,,
ऐ  खुदा ,, जो सिर्फ अपने लिए ही जी रहा हुँ ,,
अब बहुत कुछ करना है मुझे उन आँखों के लिए,,
जो कई सालों से सिर्फ मेरे लिए सपने संजों रही है !!

मैंने उन आँखों में सपने देखे है,,
हज़ारों अरमान देखे है ,,
नज़र किसी की न  लगे ,, ऐसे ख्वाब देखे है ,,
काला साया मेरे ऊपर अब कैसे आएगा,,
दुआओं के जो दो हाँथ मैंने अपने सर पे देखे है!!

अब कोई ख्वाइश मेरी न रह गयी ,,
अब कुछ अपनों की मुरादे पूरी करनी ,है,
बस इतनी रेहमत देना ऐ ख़ुदा ,,
ईमान में जो कुछ है,, बस पूरा करने का हौसला देना ऐ ख़ुदा !!