Thursday, June 13, 2013

क्या जूठ था....

तेरा रोना मेरे कंधे पे,,,क्या जूठ था,,
आज भी ये सोचता हूँ,,
तेरा प्यार था भी कुछ या नहीं,,
इसकी वजह से रात भर जागता हूँ मैं,,,,

खोने को सब कुछ खो दिया मैंने,,,
जो है मेरे पास अभी,,
उसके लिए दुनिया तरसती है,,
फिर भी पाके उसे,,
चैन भर की नींद नहीं आती मुझे,,
जिसको दुनिया अभी जीती है,,,

जब राहों में मैं अकेले गुजरता हूँ,,
तो जोड़े अक्सर मुझको देखते हैं,,,
वो मेरी कामयाबी से जलते है,,
वो मेरी तरह जीना चाहते हैं,,

अक्सर यही होता है जो मेरे हाथों में लिखा है ,,
वो कोई और चाहता है ,,
और जो किसी और के हाथों में मेरे सपने लिखे है ,,,
उन्हें मैं चाहता हूँ,,,

इसी तकलीफ में मैं जीता रहता हूँ,,,
इसी ख़ामोशी में हर पल धीमे -धीमे मरता रहता हुन…. 

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