Monday, July 16, 2012

तुम नहीं थे साथ कभी......


तुम नहीं थे साथ कभी,, न साथ हो आज अभी,,,
फिर क्यों ये दिल बहलाता है मुझको आज कहीं,,
ये धोका है तसवुर की एक तस्वीर का,,
फिर से हर बार तेरा ही चेहरा क्यों बार बार दिखता है...

मेरे आँगन की एक छाया थी तुम कभी,,
आज वही पे धुप की बेला बन गई हो तुम,,
धोका हुआ है ऐसे की,,मेरे लिए एक साया हो तुम,,
उस अग्न का भी एक महरूम कोमल रोया बन गई हो तुम।...

आज कशिश होती है किसी से स्पर्श से जब कभी,,
तो कोई बेह्रुमियों सा अपना सा एहसास होता है,,
है धोका,, ये जान के भी ख़ुशी का वो पल होता है,,
बिना शारीर मिले भी,,दूरियां न हो,,इसका अब एहसास होता है।...

है आँखों सी बद्री की एक घटा हो तुम,,
अब तो उन अश्रों में भी नाम सिर्फ तेरा होता है,,
है धोका,,फिर भी ये दर्द बड़ा अपना लगता है,,
प्यार किया है,,समझाया था किसी ने,,की मत पड़ना,
मगर तुझको पाके अब अमरत्व का एहसास अब एहसास होता है।...

मेरे हाथों की लकीरे रोज बदलती है,,
धुन्दता रहता हुईं उसमे कहीं न कहीं तेरा नाम लिखा होता है,,
खुदा से बस एक उम्मीद है,,,की मेरे हाथों की लकीरे में सिर्फ तेरा नाम हो,,
वर्ना इन हाथों की लकीरों का भी कोई फलसफा सा कोई नाम न हो।....

सब धोके है,,समय की विरासियत का,,
फिर भी क्यों ये तेरे ही नाम से आज जिन्दा रहते है।....

तुम नहीं थे साथ कभी,, न साथ हो आज अभी......

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